मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्: जो लोग ज्योतिषीय मुहूर्तों का अनुसरण कर विवाह करने में विशवास रखते हैं, उनके लिए घोड़ी या डोली चढ़ने के दिसंबर महीने में मात्र 3 दिन ही मिलेंगे। यदि इससे चूक गए तो 2021 के 16 फरवरी वसंत पंचमी तक उन्हें प्रतीक्षा करनी पड़ेगी क्योंकि दिसंबर में केवल 7, 9 और 10 तारीख को ही शुभ मुहूर्त हैं।
इसका कारण है कि विवाह मुहूर्त विचार में गुरु तथा शुक्र दो ग्रहों का आकाश मंडल में अच्छी स्थिति में होना आवश्यक है। गुरु 10 दिसंबर की रात्रि 26 बजकर 14 मिनट अर्थात 11 दिसंबर की प्रातः 2 बजकर 24 मिनट से परम नीचांश में आ जाएंगे। इसमें विवाह वर्जित रहेंगे।
2021 के मध्य तक पौष मास रहेगा इसमें भी विवाह नहीं किए जाते। फिर 7 जनवरी से 3 फरवरी तक गुरु अस्त रहेगा। उसके बाद 8 फरवरी से 18 अप्रैल तक शुक्र भी अस्त है। इस कारण माध, फाल्गुन तथा चैत्र मास विवाह एवं अन्य शुभ कार्यों के लिए त्याज्य रहेंगे। शुक्र ग्रह 18 अप्रैल को उदित तो हो जाएगा परंतु 21 अप्रैल तक बालयत्व दोष में रहेगा। शुद्ध विवाह मुहूर्त 24 अप्रैल से आरंभ होंगे। इस मध्य 16 फरवरी को वसंत पंचमी आएगी। जिसे अबूझ मुहूर्त कहते हैं। इस दिन विवाह किए जा सकते हैं।
यदि आप को विवाह करना बहुत आवश्यक है तो किसी रविवार को अभिजीत मुहूर्त जो लगभग दिसंबर व जनवरी में दोपहर 11 बजकर 40 मिनट से लेकर 12 बजकर 24 मिनट तक रहेगा, इस मध्य कर सकते हैं। इस अवधि में किया गया कोई भी आवश्यक कार्य सफल होता है विशेषतः जब रविवार को किया जाए। इसी लिए हमारे कई समुदायों में रविवार को ठीक मध्यान्ह पर लावें फेरे लेने की प्रथा चली आ रही है।
अधिकांश लोग पौष मास में विवाह करना शुभ नहीं मानते। ऐसा भी हो सकता है कि दिसंबर मध्य से लेकर जनवरी मध्य तक उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ती है, धंुध के कारण आवागमन भी बाधित रहता है, और खुले आकाश के नीचे विवाह की कुछ रस्में निभाना, प्रतिकूल मौसम के कारण संभव नहीं होता, इसलिए 16 दिसंबर की पौष संक्रांति से लेकर 14 जनवरी की मकर संक्राति तक विवाह न किए जाने के निर्णय को ज्योतिष से जोड़ दिया गया हो।
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