मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद् : खरमास (Kharmas) की शुरुआत हो चुकी है। ये खरमास 16 दिसंबर से शुरू होकर 14 जनवरी तक रहेगा। इस दौरान मांगलिक कार्य करने वर्जित माने जाते हैं। मान्यता के मुताबिक इस दौरान कोई भी मांगलिक काम करने से या इस दौरान देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता है। कहा जाता है कि खरमास में धार्मिक कार्य प्रमुखता से करने चाहिए। माना जाता है कि खरमास में समस्याओं से मुक्ति के लिए उपाय करना अच्छा माना जाता है।
आप धन से संबंधित जुड़ी समस्या से जूझ रहे हैं तो आपको इस महीने में कुछ उपाय करने चाहिए। खरमास में इन उपायों से आपके धन संकट की समस्या दूर होती है और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इस महीने में जप-तप व दान करने का भी विधान है।
खरमास में एकादशी व्रत का बहुत महत्व होता है। यह मास भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है और वे भगवान विष्णु का ही अवतार हैं। इस मास में तुलसी दल का भोग लगाना और तुलसी की पूजा का भी विशेष महत्व होता है। खरमास में पड़ने वाली एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। इस व्रत के करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है
खरमास (Kharmas Ke Upay) में करें ये उपाय
खरमास में सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। स्नान आदि करके भगवान का स्मरण करना चाहिए। ब्राह्मण, गुरु, गाय एवं साधु-सन्यांसियों की सेवा करनी चाहिए। सूर्यदेव की उपासना करनी चाहिए। भगवान विष्णु की पूजा विशेष लाभदायक मानी गई है। भगवान श्रीकृष्ण की उपासना और सूर्य देव की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता पवित्र नदी में नित्य स्नान करने से कई प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है। खरमास में धार्मिक यात्रा करने को श्रेष्ठ माना गया है।
इस अवधि में 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:' का जाप जरूर करना चाहिए। इस काल में पीपल का पूजन भी करना चाहिए। जिन लोगों को किसी प्रकार की बाधा का सामना करना पड़ रहा है उन्हें खरमास की नवमी तिथि को कन्याओं को भोजन करवाकर उपहार देना चाहिए।
पौराणिक मान्यता के अनुसार खरमास में किसी भी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। सूर्य के कारण बृहस्पति निस्तेज हो जाते हैं। इसलिए खरमास में सभी शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, गृहप्रवेश आदि नहीं किए जाते हैं, क्योंकि शुभ कार्यो के लिए बृहस्पति का साक्षी होना आवश्यक है। क्योंकि धनु बृहस्पति की आग्नेय राशि है और इसमें सूर्य का प्रवेश विचित्र, अप्रिय और अप्रत्याशित परिणाम का सबब बनता है। मनुष्य ही नहीं, हर प्राणी की आंतरिक स्थिरता नष्ट होती है और चंचलता घेर लेती है। अंतर्मन में नकरात्मकता प्रवेश करने लगती है। इस मास में किसी नए कार्य की शुरुआत करना उत्तम नहीं होता है। सगाई, गृह निर्माण प्रारंभ, नवीन गृह प्रवेश आदि भी नहीं किए जाते हैं।
धनु राशि की यात्रा और पौष मास के संयोग से देवगुरु के स्वभाव में अजीब-सी उग्रता के कारण यह माह नकारात्मक कर्मों को प्रोत्साहित करता है, इसीलिए इसे कहीं-कहीं 'दुष्ट माह' भी कहा गया है। बृहस्पति के आचरण में उग्रता, अस्थिरता, क्रूरता और निकृष्टता के कारण इस मास के मध्य शादी-विवाह, गृह निर्माण, गृहप्रवेश, मुंडन, नामकरण जैसे मांगलिक कार्य अमांगलिक सिद्ध हो सकते हैं, इसलिए शास्त्रों ने इस माह में इनका निषेध किया है।
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, सूर्य अकेले ही सात ग्रहों के दुष्प्रभावों को नष्ट करने का सामर्थ्य रखते हैं। दक्षिणायन होने पर सूर्य के आंतरिक बल में कमी परिलक्षित होती है। अतएव ढेरों अवांछित झमेलों का सूत्रपात होता है, पर उत्तरायण होते ही सूर्य नारायण समस्त ग्रहों के तमाम दोषों का उन्मूलन कर देते हैं। इसलिए दैविक, दैहिक और भौतिक कष्टों से मुक्ति के लिए भगवान सूर्य की उपासना असरदार मानी गई है। ऐश्वर्य और सम्मान के अभिलाषियों को खरमास में ब्रह्म मुहूर्त में सूर्य की आराधना करनी चाहिए।
Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.