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News24
के जे श्रीवत्सन, जयपुर: इतिहास में अकबर को महान बताये जाने को लेकर अभी विवाद ठीक से थमा भी नहीं था कि, अब महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हुई लड़ाई को सत्ता का संघर्ष बताये जाने को लेकर एक नया बखेड़ा शुरू हो गया है। दरअसल राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने दोनों के बीच की जंग को सत्ता की लड़ाई करार दे दिया, जिस पर बीजेपी ने कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे राष्टवाद की लडाई बताया है। और अब इसे दोनों पक्षों में आरोप आरोप प्रत्यारोप भी शुरू हो गए हैं।
गौरतलब है कि नागौर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम में डोटासरा ने कहा कि दोनों के बीच हुआ यह संघर्ष केवल सत्ता के लिए था, लेकिन इतिहास को बदलने की धुन में जुटी बीजेपी नेताओ ने इसे धार्मिक युद्ध बताकर ना केवल पाठ्यक्रम में शामिल करवा दिया, बल्कि इसके जरिये तनाव भी बढ़ाना शुरू कर दिया। उन्होंने बीजेपी में हर चीज को हिन्दू मुस्लिम के धार्मिक चश्मे से जोड़कर देखने का भी आरोप लगाकर महाराणा प्रताप और अकबर के बीच संघर्ष की यह बात कही।
गोविंद डोटासरा ने कहा, 'बीजेपी वाले विद्या भारती की तर्ज पर पाते पुस्तकें पढवा रहे हैं, जिसमें महाराणा प्रताप और अकबर के बीच के युद्द को धार्मिक युद्द बता दिया। हिन्दू और मुस्लिम के बीच का युद्ध बता दिया। जबकि यह सत्ता का संघर्ष था। इनको हर मामले में हिन्दू और मुस्लिम ही नज़र आता है। राहुल जी भी तो यही बार-बार कहते हैं की हिन्दू और हिन्दुत्ववादी में यही तो फर्क है। हिन्दुत्ववादी आपस में नफरत फैलाता है, झूठ बोलता है, कुछ नहीं होने पर भी अकड़ के चलता है।
गोविंद डोटासरा के इस बयान पर महाराणा प्रताप और अकबर के मुद्दे पर शुरू से ही आक्रामक रहने वाली बीजेपी ने कड़ी आपत्ति जताई है और कहा कि यह सत्ता के लिए नहीं बल्कि राष्ट्रवाद का संघर्ष था। मेवाड़ से आने वाले बीजेपी के प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने इसे कांग्रेस की मतिभ्रम का नतीजा बताया और कहा कि पूर्व शिक्षा मंत्री ने महाराणा प्रताप पर जो बोला है वह गलत है। उन्होंने कहा कि सत्ता प्राप्त करने के लिए प्रताप ने युद्द किया। उन्होंने तो स्वाभिमान और स्वन्तत्रता के लिए युद्द किया। इतिहास नहीं पढ़ा तो दुबारा पढ़ लेना। आततायी यहां घुमने नहीं आया था, वह मेवाड़ को गुलाम बनाने आया था और मेवाड़ कभी गुलाम नहीं रहा। इसलिए प्रताप जगल जंगल भटक कर भी आततायी से मुकाबला कर मेवाड़ की स्वाधीनता की लड़ाई लड़ते रहे।
कटारिया ने आगे कहा, 'कांग्रेस का बेड़ागर्क भी इसी कारण से हुआ है कि बच्चों को अकबर महान पढ़ा रहे थे। प्रताप को महान कहने में उन्हें शर्म आ रही थी। तुष्टीकरण के कारण ही कांग्रेस सिकुड़ी है। इस तरह के बयान से बची कुची पार्टी भी ख़त्म हो जायेगी। लोगों को उसकी सोच के बारे में पता चल जाएगा। प्रताप ने दिल्ली में जाकर हमला नहीं किया। उन्होंने तो अपने मूल्य, धर्म संस्कृति और स्वाधीनता की रक्षा के लिए जिन कष्टों के लिए युद्ध किया ऐसा कही नहीं हुआ। महलों को छोड़ कर भी संघर्ष जारी रखा उनका नाम प्रताप है, पढ़ना चाहिए डोटासरा को दुबारा उन्हें.
वहीं, राजस्थान बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता रामलला शर्मा ने इस बारे में बयान जारी कर कहा कि- कांग्रस के नेता अपने मानसिक संतुलन खो दिया है। अब इतिहास के पन्नों से ऐसे उदाहरण देना शुरू कर दिया है, जिनका इतिहास में कोई स्थान ही नहीं है। वह सत्ता की लड़ाई नहीं थी, अकबर की लडाई सत्ता की होगी,लेकिन महाराणा प्रताप ने मान सम्मान और राष्ट्रवाद के लिए लडाई लड़ी थी. कांग्रेस मुस्लिमों के वोट के लिए ऐसे तुष्टीकरण वाले बयान दे रही रही है।
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