के जे श्रीवत्सन, जयपुर: राजस्थान में एक पुजारी की भू माफियाओं के जमीन कब्जाने के चलते हुई मौत के मामले को लेकर बवाल तेज हो गया है। पिछले 6 दिनों से लाश के साथ इन्साफ के लिए हो रहे आन्दोलन की आंच जब जयपुर पहुंची तो सरकार ने आन्दोलनकारियों को बातचीत के लिए बुलाया, लेकिन यह बातचीत विफल हो गई। आन्दोलन कर रहे लोगों ने साफ कर दिया कि जब तक दोषी लोगों को हटाकर निष्पक्ष जांच नहीं कराई जाती, तब तक ना तो वे पुजारी के अंतिम संस्कार को होने देंगे और ना ही अपना आन्दोलन स्थगित करेंगे।
पुजारी शम्भू शर्मा की मौत को लेकर लगातार बवाल बढ़ता ही जा रहा है। पिछले 5 दिनों से मृतक पुजारी के शव को लेकर दौसा में ही प्रदर्शन किया जा रहा था, लेकिन अचानक बीजेपी के राज्यसभा सांसद गुपचुप तरीके से पुलिस सुरक्षा को चकमा देते हुए लाश को जयपुर लेकर आ गए और मुख्यमंत्री के घर के कुछ दूरी पर ही धरने पर बैठ गए।
सरकार हरकत में आई और शाम को आन्दोलनकारियों के 15 सदस्यीय प्रतिनिधियों को राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने बातचीत के लिए बुलाया, लेकिन जब कोई बातचीत नहीं बनी तो मंत्री ने भी लाश के साथ राजनीति करने को गैरवाजिब और नैतिकता के खिलाफ बता दिया।
राजस्व मंत्री हरीश चौधरी का कहना है कि यह पूरी घटना दुर्भाग्यपूर्ण है और सरकार इसकी जांच के लिए तैयार है। निष्पक्ष जांच भी होगी और हम लापरवाहों पर कार्यवाही कर भी चुके हैं, लेकिन आरोपी तहसीलदार और रजिस्ट्रार अधिकारी को तत्काल बिना जांच के नौकरी से हटाने की मांग गैर वाजिब है।
जब पुजारी के परिवार में और कोई नहीं है तो क्या उनकी लाश के साथ इस तरह से धरना प्रदर्शन उचित कहा जाएगा? यह नैतिक जिम्मेदारी है कि उनका सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हो जाए। ये कहां की नैतिकता है कि लाश के साथ मांगें मनवाने के लिए आन्दोलन किया जाए?
दरअसल मूक बधिर पुजारी शम्भू शर्मा की महवा में 28 बीघा जमीन को उसी के गांव के कुछ दबंग भू माफियाओं के सरकारी अधिकारीयों को अपने साथ मिलाते हुए अपने नाम करा ली थी। जिसके सदमे से 2 अप्रैल को पुजारी की इलाज के दौरान जयपुर के अस्पताल में मौत हो गई, खबर मिलने पर लोगों का आक्रोश बढ़ा तो बीजेपी के राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाला मीणा भी इसमें कूद पड़े और लाश को लेकर आन्दोलन पर बैठ गए।
7 अप्रेल को जब पुलिस जबरदस्ती आन्दोलन ख़त्म करवाने की सोच ही रही थी कि सांसद किरोड़ी मीणा पुलिस को चकमा देते हुए लाश को भूसे के बीच एक बोक्स में रखकर जयपुर पहुंच गए और यहीं धरना प्रदर्शन करने लगे, पुलिस को उस वक्त पता चला जब उसने दौसा में आन्दोलन स्थल पर टेंट उखाड़ कर लोगों पर लाठी चार्ज शुरू कर दिया। वहीं जयपुर में भी बातचीत विफल होने पर मांगे पूरी होने तक आन्दोलन को लाश के सामने ही जारी रखने का ऐलान कर दिया।
बीजेपी सांसद रामचरण बोहरा का कहना है कि सरकार की मंशा पर ही सवाल उठा रहे हैं, क्योंकि हम चाहते हैं कि जो भी इस मामले में दोषी हैं, उन पर कार्यवाही की जाए। एडीएम, ईओ, तहसीलदार और रजिस्ट्रार को तत्काल हटाने की मांग कर रहे हैं ताकि निष्पक्ष जांच हो सके, लेकिन सरकार इसके लिए तैयार ही नहीं है। जब तक इन मांगों को पूरा नहीं किया जाता तब तक हमारा आन्दोलन जारी रहेगा। सरकार मामले को सुलझाने की बजाय खुद उलझा रही है।
पूर्व सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री अरुण चतुर्वेदी का कहना है कि सरकार का कोई नुमाइंदा इतने दिनों तक सुध लेने नहीं गया। ऐसे में हमें यह अनिश्चितकालीन धरना करना पड़ा है। जिसके बाद ही सरकार के पास से बातचीत का बुलावा आया, लेकिन सरकार हमारी मांगों को लेकर संवेदनशील नहीं है। बातचीत में राजनीति हावी है। हालांकि हमारी तरफ से अब भी बातचीत के सभी दरवाजे खुले हैं।
राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा का कहना है कि मंत्री बातों में उलझा रहे हैं और हमारी मांगों को मानने के प्रति गंभीर ही नहीं है। ऐसे में तय है की हमारा आन्दोलन जारी रहेगा। बहरहाल बातचीत विफल होने के बाद आन्दोलनकारी फिर से धरना स्थल पर लाश के पास ही पहुंच गए हैं और पिछले 5 दिनों की तरह अब इस बार छठे दिन जयपुर में आन्दोलन कर रहे हैं।
वैसे, यह पूरा मामला राज्यभर में मंदिर माफी की जमीन पर भू माफियाओं के अतिक्रमण की चिंता से भी जुड़ा है। कहा जा रहा है कि देवस्थान विभाग की 7000 बीघा जमीन पर भू माफियाओं का अवैध कब्जा है। आन्दोलनकारी चाहते हैं कि पुजारी शम्भू शर्मा को इन्साफ के साथ मंदिर की जमीनों को भू-माफियाओं के चंगुल से भी सरकार मुक्त कराये, ताकि किसी और पुजारी को अपनी जान ना देना पड़े।
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