केजे श्रीवत्सन,कोटा। राजस्थान सरकार ने आखिरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टोलरेंस की अपनी निति के तहत कड़ा कदम उठाते हुये रिश्वत के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजे गये बारां के तत्कालीन कलक्टर आईएएस इंद्र सिंह राव को सस्पेंड कर दिया है। इसके लिए कार्मिक विभाग की ओर से आदेश भी जारी कर दिया गया जिसके अनुसार इंद्रसिंह का निलंबनकाल 23 दिसंबर से माना जाएगा। इंद्र सिंह राव पर आरोप है की उन्होंने कलेक्टर के पद पर रहते हुए अपने निजी सहायक की सहायता से रिश्वत लेने की कोशिश की थी। ACB की कार्रवाई में उनकी भूमिका की भी पुष्टि हुई थी।
रिश्वत के मामले में 23 दिसंबर को गिरफ्तार होने के बाद एसीबी ने आईएएस इंद्र सिंह राव को कोर्ट में पेश कर उन्हें 24 दिसंबर को ही 6 जनवरी तक न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया था। अब उन्हें सस्पेंड किये जाने के बाद उनकी जगह राज्य सरकार ने सोमवार देर रात जारी की गई तबादला सूची में राजेंद्र विजय को बारां का नया कलक्टर भी नियुक्त कर दिया है।जब तक इंद्र सिंह राव सस्पेंड रहेंगे उनका मुख्यालय प्रमुख शासन सचिव कार्मिक विभाग सचिवालय में रहेगा।
कार्मिक विभाग के आदेश में साफ़ लिखा गया है की इंद्रसिंह राव को एसीबी में दर्ज रिश्वत केस में प्रथमदृष्टया लिप्त माना गया। इसी कारण से उन्हें जेल भी भेजा गया है। ऐसे में 48 घंटे से ज्यादा पुलिस/न्यायिक अभिरक्षा में रहने से राज्य सरकार ने आईएएस इंद्रसिंह को निलंबित करने का निर्णय लिया।
वैसे चौंकाने वाली बात यह है की इस तरह के मामले में आम तौर पर अभियुक्त की गिरफ़्तारी और उसके खिलाफ तमाम सबूतों के आधार पर एसीबी ही राज्य सरकार और सम्बंधित विभाग को आरोपी को सस्पेंड करने की अनुशंसा भेजती है ताकि आगे की जाँच किसी तरह से बाधित ना हो सके, लेकिन इस मामले में एसीबी की अनुशंषा के बगैर ही कार्मिक विभाग की ओर से यह फैसला लिया गया है। हालांकि इस मामले में एसीबी ने कार्मिक विभाग को इंद्र सिंह राव के खिलाफ दर्ज एफआईआर की कॉपी जरूर भेजी थी और कहा जा रहा है की उसी आधार पर अखिल भारतीय सेवाएं (अनुशासन एवं अपील) नियम 1969 के नियम 3 के उप नियम 2 के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए उन्हें निलंबित भी किया गया है।
कलेक्टर को रंगे हाथ किया था गिरफ्तार
जिस रिश्वत के मामले में आईएएस इंद्र सिंह राव को गिरफ्तार किया गया था वह भी काफी दिलचस्प है। एसीबी की टीम ने गत 9 दिसंबर को राव के निजी सहायक (पीए) को पेट्रोल पम्प का अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) जारी करने की एवज में 1.40 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। पीए ने भी कबूला की उसने कलेक्टर के लिए ही उनके कहने पर यह राशि ली है। वैसे इंद्र सिंह के रिपोर्ट कार्ड पर नज़र डाले तो 58 साल के इंद्रसिंह राव राजस्थान प्रशासनिक सेवा 1989 बैच के अफसर हैं, और 4 साल पहले ही उन्हें आरएएस से आईएएस में प्रमोट कर पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार ने राजस्व मंडल में नियुक्त कर दिया। 25 दिसंबर 2018 में बारां में बतौर कलेक्टर ज्वाइनिंग की थी। इससे पहले भी वे अपने 31 साल की नौकरी में एक बार सस्पेंड होने के साथ 6 बार करप्शन सहित अलग अलग कारणों से एपीओ भी हो चुके हैं। 1999 में वे पहली बार अपने कामकाज के तरीके के चलते एपीओ हुए थे। प्रमोटी आईएएस इंद्र सिंह राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहते हुए विभिन्न जिलों में एसडीएम के पद पर रहे हैं।
Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.