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News24
विशाल एंगरीश, चंडीगढ़: पंजाब की राजनीति में अब चुनाव से ठीक पहले कई सिख संगठनों ने दविंदर पाल सिंह भुल्लर की रिहाई का मुद्दा उठा दिया है। और सीधे तौर पर आरोप लगाया है कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार देवेंद्र पाल सिंह भुल्लर समेत अन्य कई सिख जोकि अपनी सजा पूरी कर चुके हैं और तिहाड़ जेल में बंद है उनकी सजा की फाइल को अप्रूव नहीं कर रही। इसके चलते अगर 26 जनवरी तक दिल्ली सरकार ने इन सिख जेल बंदियों की रिहाई नहीं की तो पंजाब चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों का सिख संगठन विरोध करेंगे।
अमृतसर में कई सिख संगठनों और आतंक के दौर से ही जेलों में बंद सिख बंदियों के परिवारों ने प्रेस कांफ्रेंस की और दविंदर पाल सिंह भुल्लर की रिहाई और वो सिख राजनीतिक कैदी जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है। जिनमें दविंदर पाल सिंह भुल्लर के साथ कई और सिख बंदी है उनको आज तक रिहा नहीं किया गया है और सिख समुदाय में व्यापक आक्रोश के कारण आंदोलनकारी सिख संगठन दिल्ली में केजरीवाल सरकार का विरोध करने के लिए तैयार हैं।
इस मुद्दे पर केजरीवाल को सिख समुदाय के व्यापक आक्रोश का दिल्ली सरकार को सामना करना पड़ सकता है। अमृतसर में आयोजित एक प्रेस वार्ता में सिख संगठनों के नेताओं ने चेतावनी दी कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार पंजाब जेल विभाग को एक पत्र भेजा है।
भुल्लर की स्थायी रिहाई की फाइल को मंजूरी दिए बिना भुल्लर की रिहाई से दिल्ली सरकार ने इंकार कर दिया है और इस पर सिख संगठन पंजाब के सभी लोगों के साथ 26 जनवरी से पंजाब में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों को घेराव करेंगे।
सिख संगठनों के नेताओं ने जोर देकर कहा कि भुल्लर की रिहाई में फिलहाल कोई कानूनी बाधा नहीं है। इसके बावजूद भुल्लर की रिहाई को लेकर केजरीवाल का नकारात्मक रवैया सिखों और पंजाबियों की भावनाओं के खिलाफ लिया जा रहा है। इन नेताओं ने कहा कि बंदी सिखों की रिहाई का मुद्दा सिख कौम का एक भावनात्मक और संवेदनशील मुद्दा बन गया है और ये मुद्दा सिख बंदियों और उनके परिवारों तक ही सीमित नहीं है। भुल्लर की रिहाई में कोई कानूनी बाधा नहीं थी लेकिन दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार की सजा की समीक्षा को राज्य समीक्षा बोर्ड ने खारिज कर दिया था। मनजिंदर सिंह बिट्टा की रिट याचिका को भुल्लर की रिहाई में बाधा के रूप में खारिज होने के बाद अब कोई कानूनी बाधा नहीं है। और दिल्ली की मुख्यमंत्री के तौर पर शीला दीक्षित ने भी दिल्ली सिख नरसंहार के आरोपी ललित मारन हत्याकांड में जेल में बंद भाई रणजीत सिंह कुक्की को रिहा कर दिया था। और क्या ये केजरीवाल की सिख विरोधी भावना का संकेत नहीं है कि वो भुल्लर की रिहाई की क्लियर की गई फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे हैं?
दिल्ली के रायसीना रोड पर स्थित यूथ कांग्रेस कार्यालय के बाहर सितम्बर 1993 बम कांड में दविंदर पाल सिंह भुल्लर को दोषी ठहराया गया था।
सिख संगठनों का आरोप है कि वर्तमान में करीब 9 कैदी 25-30 साल से सजा पूरी होने के बावजूद देश की विभिन्न जेलों में बंद हैं और उनकी रिहाई एक कानूनी और मानवीय अधिकार है। वहीं पंथिक संगठनों के नेताओं ने भुल्लर और शेष 9 सिख राजनीतिक कैदी जिनमें भाई बलवंत सिंह राजोआना, भाई गुरदीप सिंह खेरा, भाई जगतार सिंह हवारा, भाई जगतार सिंह तारा, भाई परमजीत सिंह भियोरा, भाई लखविंदर सिंह लाखा, भाई शमशेर सिंह शेरा, भाई गुरमीत सिंह मीता इंजीनियर शामिल हैं, को लेकर केंद्र सरकार से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 78 के तहत सभी कैदियों को तुरंत रिहा करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार बंदियों की रिहाई पर फैसला नहीं लेती है तो बीजेपी के उम्मीदवारों की भी घेराबंदी शुरू करने का फैसला अलग से लिया जाएगा।
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