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News24
पटियाला: सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1988 के रोड रेज मामले में सजा सुनाए जाने के एक दिन बाद नवजोत सिंह सिद्धू आत्मसमर्पण करने के लिए पटियाला कोर्ट पहुंचे, जहां पटियाला के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अमित मल्हान ने प्रक्रिया पूरी होने के बाद उन्हें जेल भेज दिया है। सिद्धू को पटियाला सेंट्रल जेल भेजा गया है। 34 साल पुराने मामले में सिद्धू को बीते दिन गुरुवार को एक साल की सजा सुनाई गई थी। सरेंडर करने के बाद उनको मेडिकल कराने के लिए माता कौशल्या अस्पताल ले जाया गया। वहां उनका मेडिकल पूरा होने के बाद अब पटियाला जेल भेज दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार की सुबह, पंजाब के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक वीरिंदर कुमार ने जेल का त्वरित दौरा किया और बैरक के पास सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। शीर्ष पुलिस अधिकारी को सुरक्षा व्यवस्था के बारे में बताया गया और जेल के नियमों का हवाला देते हुए रेखांकित किया गया कि किसी भी कैदी के साथ विशेष व्यवहार करने का कोई प्रावधान नहीं है। अधिकारियों ने बाद में जोर देकर कहा कि कुमार की यात्रा नियमित थी और सिद्धू जेल में कई हाई-प्रोफाइल कैदियों में से एक होंगे। सिद्धू के कट्टर विरोधी बिक्रम सिंह मजीठिया भी पटियाला जेल में बंद हैं।
इससे पहले दिन में ही नवजोत सिंह सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट से समर्पण करने के लिए और अधिक समय मांगा था। हालांकि, उनका मामला सुनवाई के लिए नहीं रखा जा सका, जिस कारण उनको कोर्ट से झटका लगा और अब जहां उन्हें पटियाला कोर्ट में सरेंडर करना पड़ा। सिद्धू को पटियाला कोर्ट में सरेंडर करने के बाद कानूनी प्रक्रिया के बाद उनका मेडिकल कराया जाएगा।
हालांकि, सिद्धू से मिलकर लौटे पूर्व सांसद धर्मवीर गांधी ने कहा कि लोकल कोर्ट के पास रजिस्ट्री न पहुंचने के कारण फिलहाल सिद्धू सरेंडर करने के लिए कोर्ट नहीं गए हैं। बता दें कि सिद्धू के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने स्वास्थ्य कारणों से समर्पण के लिए सुप्रीम कोर्ट से कुछ हफ्तों का समय देने का अनुरोध किया था। सुप्रीम कोर्ट से अब तक उनको राहत नहीं मिली है। इस वजह से उनको पटियाला कोर्ट में सरेंडर करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 34 साल पुराने रोड रेज मामले में नवजोत सिंह सिद्धू की सजा बढ़ा दी, जिसमें गुरनाम सिंह (65) की मौत हो गई थी। 2018 में, सिद्धू को ₹1,000 के जुर्माने के साथ छोड़ दिया गया था।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, दिसंबर 1988 में एक रोड रेज की घटना में सिद्धू ने गुरनाम सिंह की पिटाई की थी। पीड़ित को अस्पताल ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। सिद्धू को सितंबर 1999 में एक निचली अदालत ने बरी कर दिया था, लेकिन दिसंबर 2006 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने इस फैसले को उलट दिया था। उच्च न्यायालय ने सिद्धू और सह-आरोपी रूपिंदर सिंह संधू को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया, उन्हें तीन साल की जेल तक की सजा सुनाई गई थी। उन्होंने इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी, जिसने सिद्धू को चोट पहुंचाने के मामूली आरोप के तहत दोषी ठहराया, जबकि संधू को मई 2018 में एक आदेश द्वारा सभी आरोपों से बरी कर दिया गया। वहीं, अब उन्होंने सुनाई गई एक साल की सजा पर सिद्धू ने कहा कि वह फैसले को स्वीकार करते हैं और 'कानून' के सामने खुद को पेश करेंगे।
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