न्यूज 24, नई दिल्ली (2 अगस्त): भाई बहनों का पवन पर्व रक्षाबंधन का त्योहार कल यानी 3 अगस्त को है। ज्योतिष के जानकारों का कहना है कि इस साल राखी के दिन दो विशेष संयोग बन रहे हैं। रक्षाबंधन पर 29 साल बाद सर्वार्थ सिद्धि और आयुष्मान दीर्घायु का शुभ संयोग बन रहा है। दूसरा, 558 साल बाद 3 अगस्त को सावन माह की पूर्णिमा पर गुरु, शनि, राहु और केतु की चाल वक्री रहेगी। इस त्योहार में शुभ मुहूर्त का भी विशेष महत्व होता है। शुभ घड़ी में भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने से इंसान का भाग्योदय होता है और साथ ही रिश्तों में मधुरता आती है।
29 वर्ष बाद बन रहा है विशेष योग- रक्षाबंधन के पर्व पर सर्वार्थ सिद्धि और दीर्घायु आयुष्मान का विशेष शुभ योग का निर्माण हो रहा है। जो रक्षाबंधन पर 29 साल बाद बन रहा है. इस बार रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास में पड़ रहा है वो भी सावन के अंतिम सोमवार को, जो भगवान शिव का दिन है।
शुक्र और बुध का राशि परिवर्तन- रक्षाबंधन से पूर्व यानि 1 अगस्त को शुक्र का राशि परिवर्तन हो रहा है वहीं 2 अगस्त को बुध का राशि परिवर्तन हुआ है। इन दोनों ग्रहों का रक्षाबंधन के पर्व से पूर्व परिवर्तन कई मामलों में शुभ फलदायी माना जा रहा है।
आइए जानते हैं इस साल रक्षा बंधन पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त क्या है?
- रक्षा बंधन के दिन सुबह 9 बजकर 28 मिनट से रात्रि 9 बजकर 27 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा।
- मुहूर्त- 9:30 से रात 9 बजकर 27 मिनट तक।
- अपराह्न मुहूर्त 13:46 से 16:26।
- प्रदोष काल मुहूर्त 19:06 से 21:14 तक रहेगा।
- इन दिन तीन विशेष संयोग बनने पर बहन-भाईयों को विशेष लाभ मिलेंगे। सुबह 6:51 बजे से ही सिद्धि योग शुरू हो रहा है। यह योग बहुत फलदाई होता है।
- इस दिन प्रात उत्तराषाढ़ा नक्षत्र 7:18 बजे से श्रवण नक्षत्र रहेगा। जो अति उत्तम है।
- पूर्णिमा तिथि आरंभ 21:28 (2 अगस्त) व पूर्णिमा तिथि समाप्त- 21:27 ।
3 अगस्त को श्रावण मास का आखिरी और पांचवां सोमवार भी है। सावन में बन रहे इस शुभ संयोग ने रक्षा सूत्र के इस पर्व को और खास बना दिया है। श्रावण मास में श्रवण नक्षत्र रक्षाबंधन का पर्व का पड़ना इस पर्व की शुभता में वृद्धि करता है। इसलिए इस दिन रक्षाबंधन का महत्व बढ़ जाता है।
राखि का धागा केवल अचेतन वस्तु न होकर सिल्क या सूत के कई तारों को पिरोकर तैयार होता है। यह भावनात्मक एकता का प्रतीक है इसलिए इसे पवित्र माना जाता है। बहन भाई को स्नेह से राखी बंधती है और भाई अपनी बहन की रक्षा का उत्तरदायित्व स्वीकार करता है। इस बहन अपने भाई के माथे में तिलक और चावल लगा कर राखी बांधती हैं। राखी बांधते समय ये मंत्र बोलें-
ॐ एन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबली।
तेन त्वा मनुबधनानि रक्षे माचल माचल।।
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