नई दिल्ली: सीबीआई की विशेष अदालत ने 1992 में बाबरी विध्वंस मामले में सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है। हालांकि अदालत के इस निर्णय से बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी नाखुश हैं।
जफरयाब जिलानी ने कहा कि वह इस निर्णय से संतुष्ट नहीं है और वह हाईकोर्ट जाएंगे। जिलानी ने कहा कि यह निर्णय बिल्कुल न्याय विपरीत है। सबूतों की पूरी तरह अनदेखी की गयी है। यह कानून के खिलाफ है। इसके खिलाफ हम हाईकोर्ट जाएंगे। जिसको यह लोग सबूत नहीं मान रहे वह पूरी तरह से सबूत है। सभी के बयान हैं। इसके लिए दो लोगों के बयान काफी होते हैं। यहां तो दर्जनों बयान है। हमारे पास ऑप्शन है।
राम मंदिर फैसला पर सवाल उठाते हुए जफरयाब जिलानी ने कहा कि राम मंदिर के फैसले में हम देख चुके हैं और बाबरी केस का फैसला भी देख लिया। दोनों से हम संतुष्ट नहीं हैं। अभी तक हम फैसले का इंतजार कर रहे थे। जिलानी कहते हैं कि जो भी पक्ष संतुष्ट नहीं है, वह हाईकोर्ट का रुख करेगा।
वहीं इस मामले में हैदराबाद से सांसद और AIMIM पार्टी के चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने बाबरी मस्जिद विध्वंस (Babri Demolition Verdict) मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे अदालत की तारीख का काला दिन करार दिया है। ओवैसी ने फैसले पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि क्या जादू से मस्जिद को गिराया गया।
बता दें कि अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को ढहाए गए विवादित ढांचे के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाया। इस मामले में भाजपा के वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया गया है। 28 वर्ष तक चली सुनवाई के बाद ढांचा विध्वंस के आपराधिक मामले में फैसला सुनाने के लिए सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसके यादव ने सभी आरोपियों को कोर्ट में तलब किया था।
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