नई दिल्ली: दिल्ली में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। रेप की एफआईआर दर्ज होने के बाद जब एक व्यक्ति ने दिल्ली हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी लगाई, तो एफआईआर दर्ज कराने वाली महिला ने अपने आरोप वापस ले लिए।
महिला ने आरोप वापस लेते हुए कहा कि ये आरोप गलत हैं और मैं अब एफआईआर वापस लेना चाहती हूं। महिला का कहना है कि कुछ गलतफहमियों के चलते उस व्यक्ति के खिलाफ बलात्कार की शिकायत पुलिस में दर्ज करा दी थी, जो दो साल तक उसका दोस्त भी रहा। महिला ने कोर्ट को कहा कि वह बिना शर्त कोर्ट के सामने माफी मांग रही है।
इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में एफआईआर को रद्द करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि खुद महिला के इस मामले में अपने आरोपों को गलत बताने के बाद अब केस को आगे ट्रायल के लिए ले जाना गलत होगा, क्योंकि ट्रायल के बाद भी आरोपी महिला के इस बयान के बाद बरी हो जाएगा। ऐसे में कोर्ट का समय और व्यर्थ होगा।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी और महिला दोनों आपस में रिश्तेदार भी रहे हैं और 2 साल से दोस्त भी थे। दोनों ने आपसी संबंध अपनी मर्जी से बनाए हैं, लेकिन इस साल फरवरी में उन दोनों का ब्रेकअप हो गया और उसके बाद महिला ने अक्टूबर में अपने दोस्त पर बलात्कार का आरोप दर्ज कराते हुए एफआईआर दर्ज करा दी।
एफआईआर दर्ज होने के बाद अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए आरोपी व्यक्ति ने हाईकोर्ट में आज अग्रिम जमानत की अर्जी दायर की गई थी, लेकिन कोर्ट आरोपी की अर्जी पर सुनवाई करता इससे पहले ही महिला ने हलफनामा दायर कर अपने आरोपों को वापस ले लिया।
हालांकि कोर्ट ने एफआईआर को रद्द करने के बाद अपने आदेश में यह भी कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के उस जजमेंट से भी वाकिफ हैं जिसमें जघन्य अपराधों में एफआईआर को रद्द न करने का सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है, लेकिन चूंकि यहां पर खुद पीड़ित महिला ही अपने आरोपों से मुकर रही है और उसने कोर्ट में झूठी एफआईआर दर्ज कराने की बात स्वीकार की है। ऐसे में कोर्ट के पास इस मामले में एफआईआर को रद्द कराने के पर्याप्त मजबूत आधार है।
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