नई दिल्ली। देश में जैसे ही फांसी की सजा किसी को मिलती है बिहार के बक्सर जेल की चर्चाएं शुरू हो जाती हैं। दरअसल फांसी देश के किसी भी जेल में हो, फंदा तो बक्सर जेल से ही तैयार होता है। इसमें सबसे अहम बात ये है कि यहां के कैदी ही इस फंदे को बनाते हैं।
देश में अब तक जितने लोगों को फांसी हुई उन सभी के फंदे बक्सर जेल में ही तैयार हुए थे। बुधवार को यूपी के अमरोहा (Amroha) जिले की रहने वाली शबनम (Shabnam) को फांसी की सजा (death sentence) मिलने के बाद बक्सर जेल की चर्चा होना तो लाजिमी है। आइए News24 आपको बताता है कि बक्सर जेल में ही फांसी का फंदा क्यों बनता है।
एक कानून के तहत बक्सर जेल को छोड़कर बाकी देश के किसी भी हिस्से में फांसी का फंदा नहीं बन सकता है। बक्सर जेल के अधीक्षक राजीव कुमार ने बताया कि ये अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है। उस वक्त यहीं पर फंदा बनाने की मशीन लगाई गई थी। फंदा बनाने के लिए बाकायदा टीम होती है जिसकी ये जिम्मेदारी तय होती है। फंदा बनाने के लिए कैदी इस टीम में होते हैं और उन्हे बाकायदा ट्रेनिंग दी जाती है।
दोषी के वेट और लेंथ के हिसाब से बनता है फंदा:
राजीव कुमार बताते हैं कि रस्सी अमूमन 12 से 16 फीट तक होती है। इसे दोषी के लेंथ और वेट के हिसाब से बनाया जाता है। फंदा बनाने से पहले धागों को मुलायाम किया जाता है ताकि उनसे लपेटकर रस्सा तैयार करने में आसानी हो और कहीं भी गैप हवा न भरी रहे यानी गैप न हो।
दोषी को जितना वेट होता है रस्सी उतनी ही मजबूत होती है। फंदे को इसके लिए विशेष प्रकार के धागे का इस्तेमाल होता है। फांसी से पहले जेल सुप्रींटेंडेट की मौजूदगी में रस्सी को चेक किया जाता है। फिर उसे सुरक्षित रख दिया जाता है। फंदे के धागे को मनीला रस्सी भी बोलते हैं। हालांकि ये नाम शायद इसलिए पड़ा कि अंग्रेजों के जमाने में फंदे की रस्सी मनीला (फिलिपिन्स) से आती थी। अब तो देश में ही अवेलेबल है। मनीला रस्सी के बार में जेल मैन्युअल में भी जिक्र है।
इस विशेष धागे का होता है इस्तेमाल: फंदा बनाने के लिए जे-34 नंबर के धागे का इस्तेमाल होता है। एक फंदे में करीब 72 धागे होते हैं। हर कपड़ा बनाने के लिए धागे का एक नंबर होता है। ये उसकी रिल पर लिखा होता है। ऐसा ही फंदा वाली रस्सी में इस्तेमाल होने वाले धागे का भी होता है।
पिछले 15 सालों में इन्हें दी गई फांसी:
14 अगस्त 200, दुष्कर्म के दोषी: पश्चिम बंगाल में एक स्कूली छात्रा का दुष्कर्म कर उसकी हत्या के जुर्म में 14 अगस्त 2004 को तड़के 4 बजे धनंजय चटर्जी को फांसी के फंदे पर लटकाया गया था।
21 नवंबर 2012, मुंबई के दोषी: दोषी अजमल कसाब को पुणे की यरवदा जेल में तड़के फांसी दी गई थी। 26 नवंबर 2008 को मुंबई में अजमल कसाब समेत 10 आतंकवादियों ने 166 लोगों की जान ली थी और तीन दिन तक पूरा शहर एक तरह से बंधक बन गया था।
9 फरवरी 2013, संसद हमले के दोषी: 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हुए हमले के दोषी अफजल गुरु को तिहाड़ जेल में तड़के 5.25 बजे फांसी दे दी गई थी।
30 जुलाई 2015, मुंबई बम कांड के दोषी: 2 मार्च 1993 को मुंबई शहर में पहली बार आतंकी हमला हुआ था । एक के बाद एक हुए 13 धमाकों में 257 लोग मौत हो गई जबकि 713 लोग इन धमाकों में घायल हो गए थे।
20 मार्च 2020, निर्भया मामले के 4 दोषी: दिल्ली में निर्भया गैंगरेप के दोषी मुकेश सिंह, विनय शर्मा, अक्षय कुमार सिंह और पवन गुप्ता को दिल्ली की एक जेल में सुबह साढ़े पांच बजे फांसी दे दी गई। मामले में 6 लोग पकड़े गए थे। इसमें एक नाबालिग था। उसे बाल सुधार गृह में भेज दिया गया था। दूसरे ने जेल में आत्महत्या कर ली थी।
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