नई दिल्ली: दिल्ली से लगने वाली तमाम सीमाओं पर किसान कब्जा जमाए बैठे हैं। टिकरी बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर से लेकर बुराड़ी के संत निरंकारी मैदान तक किसानों का हुजूम लगा हुआ है। दिल्ली पुलिस प्रदर्शनकारी किसानों को निरंकारी मैदान लाने की कोशिश कर रही है, लेकिन किसान मना कर रहे हैं।
आखिर किसान कानून को लेकर पंजाब-हरियाणा के किसानों में ही ज्यादा उबाल क्यों हैं। ये वो सवाल हैं जो हर तरफ उठ रहे हैं। कोई इसे राजनीति बता रहा है तो कोई कुछ। लेकिन आखिर असलियत क्या है।
पंजाब-हरियाणा के किसानों में गुस्सा क्यों ?
सरकार खरीद सेंटर में तय MSP पर फसल बेचने वाले किसान 10% है
एक अनुमान के मुताबिक अब 6 फीसदी ज्यादातर पंजाब-हरियाणा के किसान शामिल हैं
94% किसानों ने फसल बाहर मंडी में बेची
साल 2019-20 | पंजाब-हरियाणा | MSP से कीमत |
धान | 226.56 लाख टन | |
गेहूं | 201.14 लाख टन | 80,293.21 करोड़ रुपए |
साल 2019-20 गेहूं की खरीद
पंजाब 129.12 लाख मीट्रिक टन
यूपी 37 लाख मीट्रिक टन
बिहार 0.03 लाख मीट्रिक टन
कमीशन एजेंट (आढ़ती) मंडी समिति में फसल बेचने में मदद करते हैं
बदले में किसानों से तय कमीशन लेते हैं
पंजाब में आढ़तियों की संख्या 29 हजार
किसान आढ़तियों के पास ही उपज लेकर आता है
आढ़ती साफ-सफाई, पैकिंग, तोल, मोल-भाव का काम करते हैं
MSP का करीब 2.5 बतौर कमीशन लेते हैं
2019 में पंजाब-हरियाणा में आढ़तियों को 2 हजार करोड़ रुपए की कमाई
2014-15 इकोनॉमिक सर्वे
सबसे ज्यादा मंडी टैक्स-लेवी-सरचार्ज वाले राज्य
पंजाब
हरियाणा
ओडिशा
आंध्र प्रदेश
राज्य लेवी/सरचार्ज
पंजाब 15 फीसदी
यूपी 9 फीसदी
राजस्थान 3.6 फीसदी
आंध्र प्रदेश 19 फीसदी
मंडियों में फसल बेचने में राज्य सरकारों का सीधा दखल नहीं
मंडी समितियों से राज्य सरकारें मंडी फीस, सेस और लेवी वसूलती हैं
पंजाब में मंडी फीस के साथ रूरल डेवलेपमेंट सेस भी लागू
सरकार को करीब 3500-3600 करोड़ रुपए की कमाई
पंजाब-हरियाणा में मंडी समितियां सरकार की कमाई का बड़ा जरिया
नए कानून से सरकारों को कमाई कम होने का डर
Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Google News.