नई दिल्ली। अक्सर फांसी सूर्योदय से पहले ही दी जाती है। किसी को तड़के 4 बजे, किसी को साढ़ 4 या साढ़े पांच बजे। पिछले 15 सालों में फांसी की बात करें तो धनंजय चटर्जी को तड़के 4 बजे, अजमल कसाब को भी सूर्योदय से पहले, अफजल गुरु को सुबह 5:25 पर, निर्भया मामले के आरोपियों को सुबह साढ़े 5 बजे फांसी दी गई।
चूंकि यूपी की अमरोहा (Amroha) निवासी शबनम (Shabnam) को वर्ष 2008 में एक मासूम समेत 10 लोगों की हत्या करने के जुर्म में फांसी की सजा (Death Sentence) सुनाई गई । सुप्रीम कोर्ट ने भी फांसी को सजा को बरकरार रखा। राष्टपति के पास दया याचिका भी खारिज हो चुकी है। ऐसे में फांसी की तैयारियां शुरू हो गई हैं। फांसी किस दिन और कितने बजे होगी ये सब अभी तय नहीं है। पर बताया जा रहा है कि फांसी मथुरा जेल में होगी। ऐसे में फांसी की चर्चाएं होने पर News24 आपको बता रहा है कि ब्रह्मवेला में ही फांसी क्यों दी जाती है।
इस मामले में बक्सर जेल के सुप्रींटेंडेट राजीव कुमार ने news24 को बताया कि तड़के ब्रह्म वेला माना जाता है। लगभग सभी धर्मों में ये मान्यता है कि ये समय ईश्वर का होता है। दोषी को सजा तो दी जाती है पर उससे पहले उसे पूजा-पाठ वगैरह का मौका दिया जाता है। उसे बाकायदा नहलाया जाता है। साफ कपड़े पहनाए जाते हैं। इसके अलावा ये भी माना जाता है कि जेल में उस वक्त सारे कैदी सो रहे होते हैं। जेल का कार्य भी सूर्योदय के बाद ही होता है। ऐसे में फांसी के चलते जेल का कार्य प्रभावित न हो इसलिए फांसी सुबह दी जाती है।
कैदियों को नहीं दी जाती है सूचना:
राजीव कुमार ने बताया कि किसी को जब फांसी होनी होती है तो इसकी सूचना बाकी कैदियों को नहीं दी जाती है। फांसी हो जाने के बाद भले ही उन्हें पता चल जाता है। इसके पीछे तर्क ये है कि कैदी इसे लेकर जेल में क्या रिएक्ट करेंगे कुछ कहा नहीं जा सकता है। सुरक्षा कारणों से भी ऐसा कदम उठाया जाता है।
जल्लाद कहता है मुझे माफ कर देना :
फांसी से पहले दोषी से उसकी आखिरी इच्छा पूछी जाती है। फांसी के वक्त एक्जिक्यूटिव मजिस्ट्रेट, जेल सुप्रींटेंडेंट और जल्लाद का रहना जरूरी है। फांसी के 10 मिनट बाद मेडिकल टीम ये पुष्टि करती है कि मौत हो गई है या नहीं। इसके आधे धंटे के बाद शव को नीचे उतारा जाता है। शव को पोस्टमार्टम करने के बाद मृतक के परिजनों को सौंप दिया जाता है। यदि उसके कोई परिजन न हो तो फांसी से पहले ही उससे पूछ लिया जाता है कि उसका अंतिम संस्कार कैसे किया जाए।
जल्लाद कहता है- राम राम, आखिरी सलाम:
जल्लाद दोषी के पास जाकर कहता है कि मुझे माफ कर देना। उसके धर्म के मुताबिक उसे राम-राम या सलाम बोलकर कहता है कि मैं हुक्म का गुलाम हूं। उसके बाद वो फंदा खींच देता है।
Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.