नई दिल्ली: सोमवार को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का बजट पेश किया। निर्मला सीतारमण ने बजट में कई घोषणाएं कीं। सीतारमण ने एक विशेष घोषणा इंश्योरेंस सेक्टर को लेकर भी की। उन्होंने कहा कि इंश्योरेंस सेक्टर में एफडीआई 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत किया जाएगा। वित्तमंत्री की इस घोषणा के क्या मायने हैं। इंश्योरेंस सेक्टर में एफडीआई बढ़ने से आम आदमी पर क्या असर होगा? इन सवालों को लेकर हमने जाने माने सीए लोकेश कासट से बात की...
सीए लोकेश कासट के अनुसार, FDI का अर्थ है फॉरेन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट। यानी विदेशी कंपनीज भारत में आकर निवेश कर सकती हैं। उनके लिए पहले से ज्यादा द्वार खुल गए हैं।
हालांकि इंश्योरेंस सेक्टर में अभी एफडीआई काफी कम है, यानी चुनिंदा विदेशी कंपनीज ही हैं, लेकिन एफआईडी बढ़ने से विदेशी कंपनीज आकर्षित होंगी। इसे ऐसे कह सकते हैं कि अभी तक ग्राहक या आम आदमी के पास चुनिंदा विकल्प ही मौजूद हैं। जब विदेशी कंपनीज आएंगी या कंपनियों की संख्या ज्यादा होगी तो उतना ही कॉम्पिटीशन भी बढ़ेगा, जिसका सीधा फायदा आम आदमी को होगा।
कंपनियां तरह-तरह के इंश्योरेंस प्रोडक्ट लॉन्च करेंगी। आम आदमी को एक साथ कई विकल्प मौजूद होंगे। निश्चित तौर पर वह सस्ता, सुंदर और टिकाउ इंश्योरेंस प्लान लेने में सक्षम होगा। पूंजी बढ़ेगी तो, ग्रोथ का चांस बढ़ेगा।
हालांकि इस सिक्के का दूसरा पहलू यह भी है कि रिस्क भी ज्यादा बढ़ जाएगा। इसके साथ ही भारतीय कंपनियां पिछड़ सकती हैं। इसके लिए सरकार को 'आत्मनिर्भर भारत' के तहत कुछ विशेष योजना इस सेक्टर के लिए जारी करनी चाहिए। जिससे उन्हें प्रोत्साहन मिल सके। इंश्योरेंस सेक्टर की कंपनियों के लिए लिमिट और प्लान भी फिक्स कर देने चाहिए। ताकि इंश्योरेंस कंपनियां बेलगाम न हो जाएं।
जॉब बढ़ेंगी
इस सेक्टर में जितना ज्यादा निवेश होगा, उतनी ही जॉब भी बढ़ेंगी। निश्चित तौर पर युवाओं को इसका सीधा फायदा होगा। बैंकिंग, इंश्योरेंस सेक्टर में आज कई युवा अपना बेहतर भविष्य देख रहे हैं। यदि कंपनियों की संख्या बढ़ी तो रोजगार के मौके भी बढ़ जाएंगे।
सरकार की मंशा क्या?
2015 में इंश्योरेंस सेक्टर में एफडीआई 25 प्रतिशत था। इसके बाद इसे बढ़ाकर 49 प्रतिशत किया गया। अब इसे 74 प्रतिशत कर दिया गया है, ऐसे में सरकार की मंशा समझ नहीं आ रही कि ऐसी क्या जरूरत है, जिससे एफडीआई इतना बढ़ाया गया है। इकोनॉमी को देखते हुए भी कोई खास फायदा नहीं दिख रहा है। हालांकि एक तरफ तो सरकार एलआईसी का आईपीओ प्लान कर रही है, जिसका निवेशकों को सबसे ज्यादा इंतजार है। दूसरी ओर एफडीआई को 49 से 74 कर दिया गया है, यह समझ से परे है कि सरकार की योजना क्या है?
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