संजय गोदियाल: सुभाष चंद्र बोस की जन्मभूमि, रबींद्रनाथ टैगोर की जन्मस्थली बंगाल में सियासी लाउडस्पीकर बजने लगा है। चुनाव को भले ही अभी कुछ वक्त है, लेकिन सियासी चहलकदमी शुरू हो चुकी है। पार्टियों में टूट फूट भी जोरों पर हैं। सूबे में बीजेपी की एंट्री क्या हुई भगदड़ मच गई।सबसे ज्यादा आना जाना सत्ता धारी पार्टी टीएमसी में देखने को मिल रहा है।
ममता को 24 घंटे में 4 झटके
सिंगूर आंदोलन से टीएमसी को सत्ता तक लाने वाले शुभेंदु अधिकारी ने ममता से नाता क्या तोड़ा, पार्टी में बागियों की झड़ी लग गई। विधायक शीलभद्र दत्ता गुड बॉय बोल गए। आसनसोल के जिलाअध्यक्ष और पांडेश्वर से विधायक जितेंद्र तिवारी भी ममता से मुंह मोड़ चुके हैं। अल्पसंख्यक सेल के महासचिव कबीरुल इस्लाम भी पार्टी से अलग हो चुके हैं। यानी सिर्फ 24 घंटे में ममता को 4 झटके लगे। कहा जा रहा है कि चारों बंगाल में बीजेपी की साख बढ़ाएंगे।
सियासत के सिकंदर हैं शुभेंदु !
बाकियों को अगर छोड़ दें तो अकेले शुभेंदु अधिकारी का 65 सीटों पर दबदबा बताया जाता है। अधिकारी परिवार का प्रभाव समझने के लिए 2016 के नतीजों पर नजर डालना भी जरूरी है क्योंकि उस वक्त विधानसभा चुनाव में अधिकारी परिवार के प्रभाव वाले 65 सीटों में से तृणमूल ने 36 सीटें जीत ली थीं। जो 2011 के मुकाबले 8 सीटें ज्यादा थीं। बैरकपुर से विधायक शीलभद्र का जाना भी ममता के लिए बड़ा नुकसान है। अगर वो बीजेपी में गए तो बैरकपुर की बैटल में कमल तो बच जाएगा, लेकिन टीएमसी का कुनबा सिकुड़ सकता है।
'चुनावी चाणक्य' से नाराजगी ?
पश्चिम बंगाल में ममता ने दोबारा सत्ता हासिल करने की रणनीति चुनावी चाणक्य प्रशांत किशोर को दे रखी है। प्रशांत किशोर की वजह से ही टीएमसी जैसे दल में दंगल हो रहा है। बगावत करने वाले ज्यादातर नेताओं का दावा है कि प्रशांत किशोर से ज्यादा राजनीति का अनुभव उनको है, तो फिर वो किशोर से राजनीति क्यों सीखें ? ये लोग पीके के काम करने के तरीके से भी खुश नहीं हैं। नाराज नेताओं को लगता है कि पीके का काम करने का तरीका मार्केटिंग कंपनी जैसा है और वो ऐसे माहौल में काम करना उनके लिए असंभव है।
टीएमसी में तकरार क्यों ?
बड़े नेता तो बड़े नेता, ग्राउंड वर्कर भी टीएमसी के साथ नहीं हैं। अब तक कई कार्यकर्ता पार्टी का दामन छोड़ चुके हैं। यानी चुनाव से एन वक्त पहले बिखर रहे मोतियों की वजह से टीएमसी की माला मुसीबत में पड़ सकती है। हालांकि अभी तो शुरुआत है। जैसे-जैसे चुनाव की घड़ी नजदीक आएगी। कई और सियासी रंग दिखेंगे, नेताओं का इधर-उधर जाना लगा रहेगा।
बागी खिलाएंगे 'कमल'?
उधर दूसरी तरफ टीएमसी में बगावत बीजेपी का खून बढ़ा रही है। पहली बार सत्ता के सिंहासन पर बैठने की कोशिश में जुटी बीजेपी बागियों को अपने साथ लाने की फिराक में है। बीजेपी को ये अच्छे से पता है कि ममता के बागी विधायक और नेता बंगाल में कमल को ऑक्सीजन दे सकते हैं।
Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.