नई दिल्ली: दिसंबर आने वाला है और ठंड ने धीरे-धीरे अपना रूप दिखाना शुरू कर दिया है। कई इलाकों में मौसम का मिजाज तेजी से बदलने लगा है और ठंड बढ़ने लगी है। पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी और मैदानी इलाकों में बारिश की वजह से उत्तरी भारत के कई इलाकों में तापमान का पारा तेजी से नीचे लुढ़कता जा रहा है। इसके साथ ही कई राज्यों में मौसम तेजी से बदलता जा रहा है। दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में तापमान में गिरावट का सिलसिला तेजी से शुरू हो गया है। इन इलाकों में लगातार न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है।
मौसम विभाग के मुताबिक अगले 24 से 48 घंटों में कई इलाकों में तापमान एक से दो डिग्री नीचे आ सकता है। दिल्ली में शुक्रवार को न्यूनतम तापमान 7.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से पांच डिग्री कम था जो 14 साल में सबसे कम नवंबर का तापमान था। वहीं शनिवार को तापमान 8.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। वहीं रविवार को न्यूनतम 7 डिग्री सेल्सियस तक और गिरने की सम्भावना है। मौसम विभाग के मुताबिक दिल्ली में इस साल आम दिनों की तुलना में अधिक ठंड पड़ने की संभावना है।
मौसम विभाग ने पश्चिमी विक्षोभ के देश के उत्तर-पश्चिमी हिस्से की ओर बढ़ने के चलते सोमवार को रात के तापमान में वृद्धि का अनुमान जताया है। मौसम विभाग के क्षेत्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि पश्चिमी विक्षोभ के असर से सोमवार से न्यूनतम तापमान में वृद्धि होने का अनुमान है।
राजस्थान के अधिकतर इलाकों में शनिवार को न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की गई। मैदानी इलाकों में चुरु में न्यूनतम तापमान सबसे कम 5.5 डिग्री सेल्सियस रहा। राज्य के एकमात्र पहाड़ी इलाके माउंट आबू में रात का तापमान एक डिग्री सेल्सियस रहा।
हल्द्वानी में रात का तापमान पहली बार 5 डिग्री सेल्सियस पर आ गया है। शनिवार को पिथौरागढ़ का न्यूनतम तापमान 4.6 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। वहीं नैनीताल में तापमान छह डिग्री पहुंचने से रातें अत्यधिक सर्द होने लगी हैं। शाम ढलते ही लोग घरों में कैद हो जा रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश में ठंड बरकरार है और मौसम विभाग ने अगले कुछ दिन में राज्य में बारिश और बर्फबारी का अनुमान जताया है।
झारखंड और आसपास के इलाके में पिछले तीन-चार दिनों से मौसम का मिजाज बदला हुआ है। अरब सागर में बने साइक्लोनिक सर्कुलेशन का असर झारखंड पर भी रहा। रांची समेत कई जगहों पर अच्छी बारिश हुई है। हवा भी सामान्य से अधिक तेज गति से चली। इसका सबसे ज्यादा असर अधिकतम तापमान पर हुआ है।
मौसम विभाग का कहना है की प्रशांत महासागर की मौसम संबंधी घटनाओं को ला नीना के नाम से जाना जाता है, जिससे सर्दियों के महीनों में वैश्विक मौसम पर असर पड़ता है। ला नीना के दौरान केंद्रीय प्रशांत महासागर में तापमान सामान्य स्तर से नीचे चला जाता है और हवा के पैटर्न को ट्रिगर करको दूर के क्षेत्रों में मौसम को प्रभावित कर सकता है। यह उत्तर पश्चिमी भारत में सामान्य सर्दियों की तुलना में ठंड से जुड़ा हुआ है।
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