Vijay Diwas 2020 : 16 दिसंबर का दिन भारतीय ही नहीं दुनियाभर के इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा हुआ है। 6 दिसंबर सन् 1971 के दिन भारत-पाक युद्ध के दौरान भारत ने पाकिस्तान पर विजय हासिल की थी और उसी जीत को पूरा हिन्दुस्तान 'विजय दिवस' के रूप में मनाता है। इस दिन पर हर भारतीय को गर्व महसूस होता है और आगे भी होता रहेगा।
यह वही दिन है जब भारत ने पाकिस्तान पर ऐतिहासिक विजय दर्ज की और दुनिया के मानचित्र पर एक नया देश बांग्लादेश बना था। 16 दिसंबर 1971 को भारत ने युद्ध में पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी इस युद्ध के 12 दिनों तक चले इस युद्ध में भारत को करीब 3,900 सैनिकों की शहादत देनी पड़ी थी, जबकि 9,851 घायल हो गए थे।
इस युद्ध में पाकिस्तान के हजारों सैनिक मारे और घायल हुए थे। इतना ही भारत ने पाकिस्तान के 93 हजार जिंदा सैनिकों को बंदी बना लिया था। पाक सेना का नेतृत्व कर रहे लेफ्टिनेंट जनरल एके नियाजी ने अपने 93 हजार सैनिकों के साथ भारतीय सेना के कमांडर ले. जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने आत्मसमर्पण कर हार स्वीकार की थी।
इस युद्ध के बाद 93 हजार पाकिस्तान पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था और पूर्वी पाकिस्तान आजाद हुआ था, जिसे आज हम बांग्लादेश के नाम से जानते हैं। इस युद्ध से जुड़ी ऐसी कई बातें हैं, जो आज भी याद की जाती हैं और भारत की विजय गाथा सुनाई जाती है।
विजय दिवस की 10 बड़ी बातें
1- इस युद्ध की पृष्ठभूमि 1971 की शुरुआत से ही बनने लगी थी। पाकिस्तान के सैनिक तानाशाह याहिया खां ने 25 मार्च 1971 को पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) की जन भावनाओं को कुचलने के लिए सैनिक ताकत से आदेश दे दिया था।
2- इसके बाद पूर्वी पाकिस्तान के सबसे बड़े शेख मुजीब को गिरफ्तार कर लिया और आम लोगों की कत्लेआम शुरू कर दी। इसके बाद पूर्व पाकिस्तान से बड़ी तादाद में पूर्व पाकिस्तान से लोग शरणार्थी बनकर भारत आने लगे। पूर्वी पाकिस्तानी पाक सेना द्वारा आम लोगों के कत्लेआम की खबरों के बाद भारत पर वहां पर सैन्य हस्तक्षेप की मांग उठने लगी।
3- तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी चाहती थीं कि अप्रैल में पाकिस्तान पर आक्रमण किया जाए। इस बारे में इंदिरा गांधी ने थलसेनाध्यक्ष जनरल मानेकशॉ की राय ली। मानेकशॉ ने इंदिरा गांधी से कहा कि वे पूरी तैयारी के साथ ही पाकिस्तान के साथ युद्ध के मैदान में उतरना चाहते हैं।
4 - उस वक्त भारत के पास सिर्फ एक पर्वतीय डिवीजन था और इस डिवीजन के पास पुल बनाने की क्षमता नहीं थी। तब मानसून की शुरुआत होनी थी और ऐसे समय में पूर्वी पाकिस्तान में प्रवेश करना मुसीबत बन सकता था।
5- इसके बाद 3 दिसंबर, 1971 को इंदिरा गांधी के कलकत्ता में एक जनसभा को संबोधित करने के दौरान पाकिस्तानी वायुसेना के विमानों ने भारतीय वायुसीमा को पार कर पठानकोट, श्रीनगर, अमृतसर, जोधपुर, आगरा आदि सैनिक हवाई अड्डों पर बम गिराने शुरु कर दिए।
6- इंदिरा गांधी ने उसी वक्त दिल्ली लौटकर मंत्रिमंडल की आपात बैठक की। पूर्व में तेजी से आगे बढ़ते हुए भारतीय सेना ने जेसोर और खुलना पर कब्जा किया। भारतीय सेना की रणनीति थी कि अहम ठिकानों को छोड़ते हुए पहले आगे बढ़ा जाए। लेकिन मानेकशॉ खुलना और चटगांव पर ही कब्जा करने पर जोर देते रहे।
7- भारतीय सेना को 14 दिसंबर को एक गुप्ता संदेश मिला कि ढाका के गवर्नमेंट हाउस में एक महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है, जिसमें पाकिस्तानी प्रशासन बड़े अधिकारी हिस्सा लेने वाले हैं। भारतीय सेना ने तय किया और बैठक के दौरान ही मिग 21 विमानों ने भवन पर बम गिरा कर मुख्य हॉल की छत उड़ा दी। वहां के गवर्नर मलिक ने लगभग कांपते हाथों से अपना इस्तीफा लिखा।
8- जनरल जैकब को 16 दिसंबर की सुबह मानेकशॉ का संदेश मिला कि आत्मसमर्पण की तैयारी के लिए तुरंत ढाका पहुंचें। नियाज़ी के पास ढाका में 26400 सैनिक थे, जबकि भारत के पास सिर्फ 3000 सैनिक और वे भी ढाका से 30 किलोमीटर दूर। जैकब जब नियाज़ी के कमरे में घुसे तो वहां सन्नाटा छाया हुआ था। आत्म-समर्पण का दस्तावेज़ मेज़ पर रखा हुआ था। पूर्वी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा वहां पहुंचने वाले थे।
9- शाम के साढ़े चार बजे जनरल अरोड़ा हेलिकॉप्टर से ढाका हवाई अड्डे पर उतरे। पूर्वी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा और नियाज़ी एक मेज के सामने बैठे और दोनों ने आत्म-समर्पण के दस्तवेज पर हस्ताक्षर किए। नियाज़ी ने नम आंखों से अपने बिल्ले उतारे और अपना रिवॉल्वर जनरल अरोड़ा के हवाले कर दिया। स्थानीय लोग नियाजी की हत्या पर उतारू थे। भारतीय सेना के वरिष्ठ अफसरों ने नियाज़ी के चारों तरफ एक सुरक्षित घेरा बनाकर बाद में नियाजी को बाहर निकाला गया। युद्ध के बाद 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को युद्धबंदी बनाया गया।
10- इंदिरा गांधी संसद भवन के अपने दफ़्तर में एक टीवी इंटरव्यू दे रही थीं। तभी जनरल मानेक शॉ ने उन्हें बांग्लादेश में मिली शानदार जीत की खबर दी। इंदिरा गांधी ने लोकसभा में शोर-शराबे के बीच घोषणा की, कि युद्ध में भारत को विजय मिली है। इंदिरा गांधी के बयान के बाद पूरा सदन जश्न में डूब गया।
Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.