पवन मिश्रा, नई दिल्ली : उम्र के आखिरी पड़ाव पर पहुंच चुके एयर वाइस मार्शल बीके बिश्नोई का आज भी देश के प्रति जज्बा देखते ही बनता है। आज भी पूरे जोश के साथ भारत माता की जय बोल कर कहते हैं हमसे ना टकराना वर्ना चूर-चूर कर देंगे। घटना 1971 की है जब पूर्वी पाकिस्तान अब बंग्लादेश उस दौर में इस इलाके में हत्या, बालात्कार की घटना ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया था। तब की तात्कालिक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पूर्वी पाकिस्तान को मुक्त करने का मन बना लिया था और इंडियन आर्मी को पाकिस्तान को जवाब का आदेश दे दिया था।
अब यही समय एयर वाइस मार्शल बीके बिश्नोई का आया जब उन्होंने देश के लिए अपनी जान की परवाह किये बिना हमला करने की योजना बनाई वो भी उन्हें सिर्फ आधे घण्टे का ही समय दिया गया था। न्यूज़ 24 से एक्सक्लूसिव बातचीत में बीके बिश्नोई ने बताया कि 14 दिसंबर 1971 को ढाका के गवर्नर हाउस पर बम गिराए थे। जिससे घबराकर वहां बैठक कर रहे पाकिस्तान के गवर्नर तुरंत इस्तीफे की घोषणा करके सुरक्षित रेड क्रॉस इलाके में चले गए थे।
हमले से सिर्फ तीन मिनट पहले मिली थी जानकारी
एयर वाइस मार्शल बीके बिश्नोई ने बताया कि सर्किट हाउस की लोकेशन का कोई नक्शा ऑपरेशन रूम में नहीं था। नक्शे के नाम पर उन्हें एक टूरिस्ट मैप दिया गया जिसे बिश्नोई ने अपनी साइड पॉकेट में रख लिया था। बिश्नोई ने न्यूज़ 24 को बताया, उस समय हमारे पास हमला करने के लिए सिर्फ़ 24 मिनट थे। उनमें से गुवाहाटी से ढाका तक पहुंचने तक का समय ही 21 मिनट था। उन्होंने कहा कि हमारे पास सिर्फ़ तीन मिनट बचते थे। मैं अपने मिग 21 का इंजिन स्टार्ट कर उसका हुड बंद ही कर रहा था कि मैंने देखा कि मेरी स्कवॉड्रन का एक अफ़सर एक कागज़ लहराता हुआ मेरी तरफ़ दौड़ा चला आ रहा है।
उस अफ़सर ने बिश्नोई को बताया कि अब टारगेट सर्किट हाउस न हो कर गवर्मेंट हाउस कर दिया गया है। बिश्नोई ने उससे पूछा कि ये है कहां तो उसका जवाब था कि आप को ही पता करना है कि वो कहां है। उन्होंने बताया कि मैंने अपनी टीम के किसी पायलट को नहीं बताया कि टारगेट को बदल दिया गया है। मैं रेडियो पर ही उन्हें ये बता सकता था लेकिन अगर मैं ऐसा करता तो पूरी दुनिया को पता चल जाता कि हम क्या करने जा रहे हैं। उन्होंने वो नक्शा अपनी जेब से निकाला और उसको देखने के बाद उन्होंने अपने साथी पायलेट्स को बताया कि ढाका हवाई अड्डे के दक्षिण में लक्ष्य को ढ़ूंढ़ने की कोशिश करें। अब ये लक्ष्य सर्किट हाउस न हो कर गवर्मेंट हाउस है। उनके नंबर तीन पायलट विनोद भाटिया ने सबसे पहले गवर्मेंट हाउस को ढूंढ़ा। इसके चारों तरफ हरी घास का एक कंपाउंड था जैसा कि राज भवनों में हुआ करता है।.
हमले वाले दिन को याद करते हुए बिश्नोई ने बताया कि वे अपने मिग को बहुत नीचे लेकर चले गए थे क्योंकि पहले ये तय करना था कि हमारा टारगेट कहीं फेल ना हो जाए। पहले राउंड में हर पायलट ने 16 रॉकेट दागे। बिश्नोई ने मेन गुंबद के नीचे वाले कमरे को अपना निशाना बनाया था।
विंग कमांडर बिश्नोई के लीडरशिप में उड़ रहे चार मिग 21 विमानों ने गवर्नर हाउस पर 128 रॉकेट गिराए। जिसके दो दिन बाद ही पाकिस्तानी सेना के 93,000 सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने हथियार डाल दिए और एक मुक्त देश के तौर पर बांग्लादेश दुनिया के सामने आया। इस लड़ाई में असाधारण वीरता दिखाने के लिए विंग कमांडर बीके बिश्नोई को वीर चक्र दिया गया था।
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