नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना के सूत्रों ने कहा कि उत्तराखंड के तपोवन विष्णुगढ़ जलविद्युत संयंत्र को ग्लेशियर के टूटने और बाढ़ से हुए नुकसान का प्रारंभिक सर्वेक्षण किया जा रहा है, जिसमें पता चला है कि बांध पूरी तरह से खत्म हो गया है।
टोही उड़ानों से प्राप्त तस्वीरें धौलीगंगा और ऋषिगंगा नदियों के संगम पर स्थित बांध को दर्शाती हैं, जोकि राज्य की राजधानी देहरादून से लगभग 280 किलोमीटर पूर्व में पूरी तरह से नष्ट हो गया। मलारी घाटी के प्रवेश द्वार और तपोवन के पास दो पुलों भी बाढ़ में बह गए है।
हालांकि जोशीमठ और तपोवन के बीच मुख्य सड़क को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। घाटी में निर्माण कार्य और बनाए गए मकानों को नुकसान पहुंचा है।
वायु सेना के सूत्रों ने कहा, "नाल देवी ग्लेशियर के प्रवेश द्वार से लेकर धौलीगंगा और अलकनंदा के साथ नीचे पिपलकोटी और चमोली तक मलबे को देखा गया।"
एनटीपीसी लिमिटेड द्वारा संचालित, 520 मेगावाट की तपोवन जलविद्युत परियोजना का निर्माण लगभग 3,000 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है।
ऋषिगंगा नदी के ऊपर रैनी गांव के पास ग्लेशियर टूटने से रविवार को अचानक गाई बाढ़ से वहां पर काम कर रहे लगभग 170 लोग लापता हैं।
NTPC ने कहा कि हिमस्खलन ने तपोवन विष्णुगाड संयंत्र के एक हिस्से को क्षतिग्रस्त कर दिया था, स्थिति पर लगातार निगरानी रखी जा रही है।
उत्तराखंड में बाढ़ और भूस्खलन की आशंका है और पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्रों में बिजली परियोजनाओं की समीक्षा के लिए आपदा समूहों ने पर्यावरण समूहों की बैठक बुलाई है।
सेना और नौसेना के साथ वायु सेना त्रासदी के बाद बचाव के प्रयासों में मदद कर रही है।
उत्तराखंड सरकार ने आपदा संचालन केंद्र के लिए निम्नलिखित हेल्पलाइन उपलब्ध करवाए हैं, जो प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों के लिए उपलब्ध हैं या उन्हें किसी भी मदद की आवश्यकता है: 1070 या 9557444486।
Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.