नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में बिजली निजीकरण के विरोध में करीब 15 लाख बिजली कर्मचारी एक दिन की हड़ताल पर चले गए है। जिसकी वजह से ऊर्जा मंत्री के आवास और प्रयागराज समेत कई जिलों में बिजली गुल रही। इस बीच ऊर्जा प्रबंधन और जिला प्रशासन ने बिजली सप्लाई बहाल रखने के लिए पुलिस के पहरे के साथ कई वैकल्पिक इंतजाम किए, लेकिन फॉल्ट के आगे सभी फेल हो गए। अब खबर है कि कर्मचारी किसी भी समय अनिश्चितकालीन हड़ताल और जेल भरो आंदोलन शुरू कर सकते हैं।
सरकार और निजीकरण का विरोध कर रहे कर्मचारियों में बातचीत फेल हो गई है। निजीकरण के विरोध में आंदोलनरत कर्मियों की चेतावनी के बावजूद समझौते का कोई रास्ता नहीं निकला और सोमवार को कर्मचारी अनिश्चितकालीन पूर्ण कार्य बहिष्कार पर चले गए।
पूर्वांचल की बिजली व्यवस्था के निजीकरण के विरोध का बड़ा असर पूरे प्रदेश में दिख रहा है। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया है। इस प्रदेशव्यापी आंदोलन से पूर्वी उत्तर प्रदेश के वाराणसी, देवरिया, गोरखपुर, चंदौली, आजमगढ़, मऊ, मीरजापुर समेत कई जिलों की बिजली आपूर्ति भी प्रभावित हुई है। इस कारण उपभोक्ताओं की शिकायतें नहीं सुनी गई और अन्य काम भी प्रभावित रहे।
सोशल मीडिया और खासकर ट्विटर बिजली कटौती की शिकायतों से भरा पड़ा है। मगर ऊर्जा मंत्री से लेकर, अधिकारियों और सांसद-विधायकों के पास इन शिकायतों का कोई जवाब नहीं है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर से लेकर पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया तक बिजली कटौती से हाहाकार मचा है। कई जगह बिजली कटौती के 20-24 घंटे बीत गए हैं, मगर कोई सुध लेने वाला नहीं है।
बिजली कर्मचारियों की प्रदेशव्यापी हड़ताल को लेकर पुलिस और प्रशासन के अफसरों को अलर्ट कर दिया गया है। इस बीच ऊर्जा प्रबंधन और जिला प्रशासन ने बिजली सप्लाई बहाल रखने के लिए पुलिस के पहरे के साथ कई वैकल्पिक इंतजाम किए, लेकिन फॉल्ट के आगे सभी फेल हो गए। राज्य के कई जिलों में आपूर्ति ठप रही। लोगों को बिजली-पानी के लिए परेशान होना पड़ा।
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