नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद में अमेरिका ने एक बड़ा खुलासा किया है। एक शीर्ष अमेरिकी सैन्य कमांडर ने कांग्रेस की सुनवाई में सांसदों को बताया कि चीन ने अभी भी कई फोरवर्ड पोस्ट से अपने सैनिकों को पीछे नहीं हटाया है, जिसपर उसने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय बलों के साथ संघर्ष के दौरान कब्जाया था।
एडमिरल फिलिप एस. डेविडसन अमेरिकी सेना के इंडो-पैसिफिक कमांड की कमान संभालते हैं, उन्होंने सांसदों को बताया कि अमेरिका ने भारत को सीमा-विवाद पर सूचना, ठंड के मौसम के कपड़े और अन्य उपकरण प्रदान करके मदद की थी।
डेविडसन ने अमेरिका में सीनेट की सुनवाई के दौरान तैयार टिप्पणी में कहा, "पीएलए ने अभी तक संघर्ष के बाद कब्जाए कई फोरवर्ड पोस्टों से सैनिकों को वापस नहीं लिया है और चीन व भारत के बीच तनाव के परिणामस्वरूप दोनों पक्षों के सैनिक हताहत हुए।''
चीनी और भारतीय सशस्त्र बलों ने लद्दाख में पैंगोंग त्सो के आसपास विवादित सीमा के कुछ हिस्सों से अपने-अपने सैनिकों को वापस ले लिया।
अमेरिकी कमांडर ने LAC पर चीनी आक्रमण को बीजिंग की "विस्तारवादी क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं" की अभिव्यक्ति के रूप में वर्णित किया। उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर सैना को जुटना जो ऊंचाई, इलाके और दूरी को ध्यान में रखते हुए विशेष रूप से उल्लेखनीय है। चीन तेजी से परिणामों को प्राप्त करने के लिए बल का उपयोग करेगा।''
सीमा विवाद शुरू करने के लिए डेविडसन ने चीन को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, ''विवादित सीमा के पास निर्माण गतिविधियों के कारण झड़पों से गतिरोध उत्पन्न हुआ था। पीएलए बाद में एलएसी पर लगभग 50,000 सैनिकों को तैनात करते हैं, जिसके बाद भारतीय सेना द्वारा जवाबी तैनाती की जाती है।''
डेविडसन ने कहा कि चीन के साथ सीमा संघर्ष ने उनकी (भारत की) आंखें खोल दी हैं कि दूसरों के साथ सहयोगात्मक प्रयास का मतलब उनकी अपनी रक्षात्मक जरूरतों के लिए हो सकता है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि आप बहुत निकट अवधि में भारत को क्वाड के साथ गहरा से रिश्ते जोड़ते हुए देखेंगे और मुझे लगता है कि यह हमारे लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक अवसर है।
उन्होंने हाल के वर्षों में दोनों देशों द्वारा तीन मूलभूत समझौतों को अहम बताया, जिसमें सैन्य सहयोग में वृद्धि, अमेरिका से भारत द्वारा बढ़ती रक्षा खरीद और संयुक्त अभ्यास शामिल हैं। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि अमेरिका एक रणनीतिक अनिवार्यता के रूप में भारत के साथ सुरक्षा संबंधों को परिभाषित करता है।
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