नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने किसानों के आंदोलन पर चर्चा के लिए पार्टी महासचिवों के साथ भाजपा मुख्यालय में बैठक की। इससे पहले आज सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के विरोध के अधिकार को स्वीकार किया, लेकिन कहा कि इसे अहिंसक होना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, एएस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यम की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य किसानों और सरकार की बातचीत हो और हम इसे सुविधाजनक बनाना चाहते हैं। पीठ ने सुनवाई की शुरुआत में स्पष्ट किया, "हम आज कानून की वैधता का फैसला नहीं करेंगे। केवल एक चीज जो हम तय करेंगे वह है विरोध प्रदर्शन और स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ने का अधिकार।"
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा, 'हम अपनी पंचायत में भविष्य पर चर्चा करेंगे। हमने सड़कें बंद नहीं की हैं, पुलिस द्वारा बैरिकेड्स लगाए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट सही है कि इस मुद्दे को जल्द हल किया जाना चाहिए। अगर हमें बुलाया जाएगा तो हम जाएंगे। सरकार संशोधन चाहती है जबकि हम चाहते हैं कि वे कृषि कानूनों को वापस लें।''
'बातचीत के लिए तैयार, लेकिन हार नहीं मानूंगा'
टिकरी बॉर्डर (हरियाणा-दिल्ली बॉर्डर) पर केंद्र के नए फार्म कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कहा कि वे सरकार के साथ अधिक बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन विरोध नहीं छोड़ेंगे। एक किसान ने कहा, "हम बातचीत के अधिक दौर के लिए तैयार हैं। सरकार अब सुप्रीम कोर्ट की मदद ले रही है, ताकि उनके अहंकार को चोट न पहुंचे। टेबल की बातचीत को लाइव दिखाया जाए।"
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