नई दिल्ली: केरल, तमिलनाडू और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव के लिए आज चुनाव प्रचार का आखिरी दिन है। आज शाम पांच बचे चुनाव प्रचार थम जाएगा। केरल, तमिलनाडू और पुडुचेरी में भी 6 अप्रैल को होने वाले चुनाव के लिए प्रचार का आखिरी दिन है। आज केरल, तमिलनाडू और पुडुचेरी के सभी सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए प्रचार थम जाएगा। लिहाजा तमाम दलों के लिए आज पूरे दमखम से वोटरों को रिझाते नजर आएंगे। 6 अप्रैल को केरल की सभी 140, तमिलनाडू की सभी 234 और पुडुचेरी की सभी 30 सीटों के लिए मतदान होना है।
तमिलनाडु का सियासी समीकरण
तमिलनाडु में यह एक पांच कोणीय लड़ाई है, हालांकि मुख्य मुकाबला एआईडीएमके और डीएमके के बीच है। इसके साथ यह लड़ाई मुख्यमंत्री एडापडी पलानीस्वामी और एम के स्टालिन के बीच भी है। ऐसा राज्य के दो कद्दावर नेता जयललिता और करुणानिधि के निधन से खाली हुई जगह के कारण भी है।
234 विधानसभा सीटें वाले तमिलनाडु ई पलानीस्वामी की अगुवाई में एआईएडीएमके की सरकार है। 2016 के विधानसभा चुनाव में AIADMK और उसके गठबंधन दलों ने 134 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं 98 सीटों के साथ DMK दूसरे नंबर पर रही थी। राज्य में डीएमके के साथ कांग्रेस सहित और भी कई छोटे दल हैं। तमिलनाडु में सरकार के गठन के लिए 118 सीटों की जरूरत होती है।
केरल के राजनीतिक हालात
केरल में विधानसभा की 140 सीटें हैं। 2016 के विधानसभा चुनाव में एलडीएफ- 91 और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) को 47 सीटें मिली थीं। यहां सरकार बनाने के लिए 71 सीटों की जरूरत होती है। राज्य में पिनारई विजयन सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) की सरकार है।
पुडुचेरी की ताजा स्थिति
पुदुचेरी में विधानसभा की कुल 30 सीटे हैं पिछले दिनों यहां बड़ी सियासी घटना देखने को मिली। सदन में मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री नारायणसामी ने विश्वास मत खो दिया और उन्हें विश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले इस्तीफा देना पड़ा और कांग्रेस सरकार गिर गई। हाल ही में कई कांग्रेस विधायकों और बाहर से समर्थन दे रहे डीएमके के एक विधायक के इस्तीफे के कारण केन्द्र शासित प्रदेश की सरकार अल्पमत में आ गई थी।
पुडुचेरी की राजनीति भी काफी दिलचस्प है। इसकी वजह है कि कांग्रेस अब वहां सत्ता में नहीं है। बीजेपी इस छोटे राज्य में कांग्रेस के बागियों की मदद से सरकार बनाने को इच्छुक है।
पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 21 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 15 सीटें जीती थीं। ऑल इंडिया एन आर कांग्रेस ने 30 सीटों पर चुनाव लड़कर सिर्फ आठ सीटें जीती थीं। अन्य के खातों में सात सीटें गई. यहां बहुमत के लिए 16 सीटें चाहिए।
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