नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं, लेकिन इससे पहले ही प्रदेश में सियासी उथल-पुथल मची हुई है। कभी ममता के करीबी और बंगाल के कद्दावर नेता शुभेंदु अधिकारी ने कल विधायक पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद वह आज 3-4 बजे तक दिल्ली आ सकते हैं। माना जा रहा है कि इस दौरान वो बीजेपी के नेताओं से मुलाकात भी कर सकते हैं।
शुभेंदु के इस्तीफे के बाद टीएमसी में टूट के आसार बढ़ गए हैं। उन्होंने कल टीएमसी के कई असंतुष्ट नेताओं के साथ एक बैठक भी की थी। बैठक में राज्य के सत्तारूढ़ दल के कई बागी नेताओं ने भाग लिया, जिनमें वरिष्ठ सांसद सुनील मंडल और आसनसोल नागरिक निकाय के प्रमुख जितेंद्र तिवारी शामिल थे।
बैठक बर्धमान जिले के कोंसा में मंडल के निवास पर आयोजित की गई थी। मंडल और तिवारी के अलावा बीरभूम के टीएमसी के कुछ अन्य असंतुष्ट नेता भी बैठक में शामिल हुए थे।मंडल और तिवारी ने हाल ही में टीएमसी सरकार की खुलेआम आलोचना की और अधिकारी के समर्थन में सामने आए।
अधिकारी नंदीग्राम से विधायक थे, उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष बिमन बनर्जी को अपना हस्तलिखित इस्तीफा सौंपा। शुभेंदु अधिकारी ने टीएमसी से इस्तीफ़ा देने के फौरन बाद ममता बनर्जी को तेवर दिखाए हैं। उन्होंने राज्यपाल जगदीप धनखड़ को चिट्ठी लिखकर ममता सरकार और बंगाल पुलिस पर बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाया है।
पार्टी में अंदरूनी तौर पर नाराज़ चल रहे शुभेंदु ने 10 नवंबर को पश्चिमी मिदनापुर में मंच पर भारत माता की जय का नारा लगाकर बाग़ी तेवर ज़ाहिर कर दिए थे। शुभेंदु जानते हैं कि नारों की राजनीति से प्रेरित ममता इस नारे से परेशान हो जाती हैं, वो इसे बीजेपी का नारा मानती हैं। शायद इसीलिए शुभेंदु ने अपने दिल की बात नारों के ज़रिये बयां करके इस्तीफ़े की भूमिका तैयार कर दी थी।
बंगाल की सियासत में शुभेंदु अधिकारी इतने अहम क्यों?
2007 में शुभेंदु ने पूर्वी मिदनापुर जिले के नंदीग्राम में एक इंडोनेशियाई रासायनिक कंपनी के खिलाफ भूमि-अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन खड़ा किया। किसानों की ज़मीन अधिग्रहण के मामले का विरोध करते हुए उन्होंने भूमि उछेड़ प्रतिरोध कमेटी यानी BUPC के बैनर तले उग्र आंदोलन किया। किसान आंदोलन को दबाने के लिए पुलिस और मौजूदा सीपीएम सरकार से जनता का खूनी संघर्ष हुआ।
नंदीग्राम-सिंगूर से चमके शुभेंदु
पुलिस की लाठी-गोलियों के सामने शुभेंदु डटे रहे
किसान आंदोलन को रोकने के लिए पुलिस ने फायरिंग की
2007 के नंदीग्राम आंदोलन में करीब 14 लोग मारे गए
किसानों की मौत ने आंदोलन की आग को और भड़का दिया
आख़िरकार तत्कालीन लेफ्ट सरकार को किसानों के सामने झुकना पड़ा
2008 में सिंगूर में भी भूमि अधिग्रहण के विरोध में प्रदर्शन हुए
हुगली ज़िले सिंगूर में कार प्लांट के ख़िलाफ़ आंदोलन हुए
सिंगूर आंदोलन में भी शुभेंदु अधिकारी ने पूरी रणनीति बनाई
नंदीग्राम और सिंगूर आंदोलन ने टीएमसी का काफ़ी जनाधार बढ़ाया
ममता ने शुभेंदु को पूर्वी मिदनापुर समेत 6 ज़िलों की कमान सौंप दी
शुभेंदु के प्रभाव वाली 65 विधानसभाओं पर उनकी काफ़ी लोकप्रियता है
शुभेंदु अधिकारी पूर्वी मिदनापुर ज़िले में प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनके पिता शिशिर अधिकारी 1982 में कांथी दक्षिण से कांग्रेस विधायक थे। बाद में वो तृणमूल कांग्रेस के संस्थापक सदस्य बन गए। शुभेंदु अधिकारी 2009 से कांथी सीट से 3 बार विधायक चुने गए। उन्होंने कांथी दक्षिण सीट पहली बार 2006 में जीती थी। तीन साल बाद वो तुमलुक सीट से सांसद चुने गए। 2007 के बाद से जनता पर टीएमसी पर उनकी पकड़ और जनता में लोकप्रियता बढ़ती चली गई, लेकिन वो इस बात से नाराज़ रहने लगे कि ये टीएमसी वो टीएमसी नहीं रही, जिसके लिए उन्होंने आंदोलन किए थे।
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