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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें पत्नी की शिकायत पर पति के खिलाफ दायर वैवाहिक दुष्कर्म के मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया था।
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और हेमा कोहली की पीठ ने मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगाने का आदेश नहीं दिया और उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ पति द्वारा दायर अपील पर नोटिस जारी किया।
पति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने पीठ को बताया कि मामले की सुनवाई 29 मई से शुरू हो रही है। पत्नी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने अपील का विरोध किया और कहा कि मुकदमे पर पांच साल से अधिक समय से रोक लगा दी गई है। और पत्नी सुनवाई शुरू होने के लिए अनिश्चित काल तक प्रतीक्षा कर रही थी।
पीठ ने मामले को जुलाई के तीसरे सप्ताह में सुनवाई के लिए पोस्ट किया। पति ने इस साल 23 मार्च को उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी, जिसने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 के तहत दुष्कर्म के आरोप को खारिज करने से इनकार कर दिया था, जिसमें उसकी पत्नी के साथ दुष्कर्म करने और उसे सेक्स के रूप में रखने का आरोप लगाया गया था।
उच्च न्यायालय ने पति के इस तर्क को स्वीकार नहीं किया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अपवाद 2 के अनुसार वैवाहिक दुष्कर्म के अपवाद के कारण उसके खिलाफ आरोप तय नहीं किया जा सकता है और कहा कि छूट पूर्ण नहीं हो सकती।
पत्नी ने पति के खिलाफ 21 मार्च 2017 को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने विवेचना के बाद पति के खिलाफ दुष्कर्म व अन्य आरोप में चार्जशीट दाखिल कर दी है।
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