प्रभाकर मिश्रा, नई दिल्ली: किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने एक बार फिर ट्रैक्टर परेड पर रोक लगाने की मांग की, जिसपर कोर्ट ने कहा कि हम पहले ही मना कर चुके हैं। हम दखल नहीं देंगे। इसके साथ ही कोर्ट ने सरकार से याचिका को वापस लेने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान किसान संगठनों की तरफ से दुष्यंत दवे और प्रशांत भूषण पेश हुए। दुष्यंत दवे और प्रशांत भूषण उन आठ किसान संगठनों के लिए पेश हुए, जिन्हें कोर्ट ने शुरू में पार्टी बनाया था। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आप लोग कभी पेश होते हैं, अभी नहीं पेश होते हैं।
जिसपर पिछली सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण और दुष्यंत दवे ने कहा कि हमें नहीं पता था कि हमारा मैटर लगा है, हमें सुनवाई के लिए कोर्ट की तरफ से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए कोई लिंक नहीं मिला था। भूषण ने कहा, 'हमारे क्लाइंट्स ने फैसला लिया है कि हम सुप्रीम कोर्ट की कमिटी के सामने पेश नहीं होंगे।'
कमेटी के पुनर्गठन को लेकर सुनवाई
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा, 'ये आरोप लगाना ठीक नहीं है कि किसी ने किसी मामले में अपनी राय दी है तो वह कमेटी का सदस्य नहीं हो सकता। सबकी अपनी-अपनी राय हो सकती है। जजों की भी अपनी राय होती है। हमने कमेटी को कोई पावर नहीं दी है। फिर पूर्वाग्रह का क्या मतलब है। आपको कमेटी के सामने नहीं पेश होना है, मत होइए। लेकिन इस तरह से कमेटी के सदस्यों और कोर्ट पर सवाल मत उठाइये। किसी को कमेटी के सदस्यों को इस तरह से बदनाम करने का कोई अधिकार नहीं है। कमेटी के सदस्यों के बारे में जिस तरह से बोला जा रहा है, यह गलत है। कमेटी के सदस्य अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं।'
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