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प्रभाकर मिश्रा, नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग समेत दक्षिण दिल्ली के इलाकों में अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई के खिलाफ सीपीएम की याचिका को सुनने से इनकार किया। इसके साथ ही कोर्ट ने शाहीन बाग मामले के याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने के लिए कहा, जिसके बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका को वापस ले लिया।
सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से आज किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं करने को कहा है।
सुनवाई की शुरुआत करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीपीएम की याचिका पर सवाल उठाया कि आप कौन हैं। पॉलिटिकल पार्टी ने याचिका दायर क्यों की है? क्या कोई पीड़ित नहीं आया है? कोर्ट ने कहा कि कोई पीड़ित आये तो बात समझ में आती है, हम अवैध निर्माण को संरक्षण नहीं दे सकते। इसके साथ ही कोर्ट ने सीपीएम के वकील को कहा कि आपको हाईकोर्ट जाना चाहिए।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ''एक बात सबको समझ लेना चाहिए कि जहांगीरपुरी में कोर्ट ने दखल इसलिए किया था कि वहां कुछ विशेष स्ट्रक्चर को नुकसान हो रहा था।''
कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल को कहा कि हम इस केस में दखल नहीं दे रहे हैं, लेकिन आप प्रक्रिया का पालन क्यों नहीं कर रहे हैं। जिसपर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि पूरी प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि ड्राइव के पहले ही जिन लोगों ने अवैध अतिक्रमण किया था, वह अपना सामान खुद हटा रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बुलडोजर की कार्रवाई से जो प्रभावित हैं, चाहे तो हाईकोर्ट जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कोर्ट का शरण लेने की जरूरत नहीं है। अगर आपको लगता है कि वहां क़ानून का पालन नहीं हुआ है तो आपको हाईकोर्ट जाना चाहिए था।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि अगर आप हाईकोर्ट जाना चाहते हैं तो ठीक है, नहीं तो हम इसे खारिज करेंगे। इसके बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका को वापस ले लिया।
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