नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज एक याचिका पर सरकार और ट्विटर को नोटिस जारी किया, जिसमें ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फर्जी समाचार और नफरत भरे संदेशों, देशद्रोही व भड़काऊ सामग्री की जांच करने के लिए एक तंत्र स्थापित करने की मांग की है।
बीजेपी नेता विनीत गोयनका ने पिछले साल मई में याचिका दायर की थी, जिसमें फर्जी खबरों और भड़काऊ संदेशों के जरिए नफरत फैलाने वाले ट्विटर कंटेंट व विज्ञापनों की जांच करने की व्यवस्था करने की मांग की गई थी।
याचिका में कहा गया कि प्रतिष्ठित लोगों और गणमान्य लोगों के नाम पर सैकड़ों फर्जी ट्विटर हैंडल और फेसबुक अकाउंट हैं। उन्होंने कार्रवाई की मांग की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। भाजपा नेता ने कहा कि सोशल मीडिया खातों का उपयोग राजनीतिक दलों द्वारा "विरोधियों की छवि धूमिल करने के लिए" किया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार ट्विटर पर लगभग 1,100 खातों और पोस्टों को ब्लॉक करने के लिए दबाव डाल रही है, जिसमें कहा गया है कि नवंबर के बाद से केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसान विरोध से जुड़ी गलत सूचना और उत्तेजक सामग्री फैल रही है।
सरकार ने सोशल मीडिया, स्ट्रीमिंग और डिजिटल समाचार सामग्री को विनियमित करने के लिए मसौदा नियमों को भी तैयार किया है, जिसमें नैतिकता का एक कोड और समस्याग्रस्त सामग्री की रिपोर्ट करने और इसे हटाने के लिए एक तंत्र शामिल होगा।
केंद्रीय आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कल संसद में बोलते हुए ट्विटर, फेसबुक, लिंक्डइन और व्हाट्सएप का उल्लेख किया और कहा कि उनका भारत में व्यापार करने के लिए स्वागत है, लेकिन आपको भारत के संविधान का पालन करना होगा, आपको भारत के कानूनों का पालन करना होगा।"
ट्विटर ने कहा कि इसने सभी सामग्री को बंद नहीं किया है, क्योंकि कंपनी मानती है कि सरकार के आदेश भारतीय कानूनों के अनुरूप नहीं थे। इसने कुछ खातों को स्थायी रूप से निलंबित कर दिया और भारत में कई अन्य लोगों तक पहुंच को अवरुद्ध कर दिया, हालांकि उनके पोस्ट देश के बाहर पढ़े जा सकते हैं।
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