प्रभाकर मिश्रा, नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अरुण मिश्रा आज न्यायाधीश के पद से रिटायर हो गए। न्यायपालिका की अवमानना के मामले में जितनी चर्चा प्रशांत भूषण को लेकर हुई उससे अधिक चर्चा भूषण के मामले में सुनवाई करने वाली बेंच की अगुवाई करने वाले जज के रूप में जस्टिस अरुण मिश्रा की हुई। प्रशांत भूषण को बार बार माफी मांगने के लिए मौका देने का मामला हो या सजा के रूप में 1₹ जुर्माना लगाने का मामला, जस्टिस अरुण मिश्रा को लेकर खूब चर्चा हुई।
जस्टिस अरुण मिश्रा के बारे में उस समय भी खूब चर्चा हुई जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सार्वजनिक तौर पर तारीफ की थी। जस्टिस मिश्रा ने प्रधानमंत्री मोदी को अंतर्राष्ट्रीय दार्शनिक की सदाबहार ज्ञानी कहा था। जस्टिस अरुण मिश्रा किसी न किसी वजह से विवादों में बने रहे। चार जजों की ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर संवेदनशील मामलों की सुनवाई कुछ खास जजों को भेजने के आरोप लगे तो जस्टिस अरुण मिश्रा के नाम की भी चर हुई थी। हालांकि प्रेस कॉन्फ्रेंस में जजों ने जस्टिस अरुण मिश्रा का नाम नहीं लिया था, लेकिन जज लोया की मौत की जांच से जुड़े मामले की जांच की मांग वाली याचिका जस्टिस अरुण मिश्रा के सामने ही लगी थी। प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद अरुण जस्टिस मिश्रा ने उस मामले पर सुनवाई से इंकार कर दिया था।
आम्रपाली से जुड़े मामले के लिए भी जस्टिस अरुण मिश्रा को याद किया जाएगा। बिल्डर के प्रोजेक्ट में फंसे होम बायर्स को घर मिलने की आज जो उम्मीद जगी है उसका श्रेय जस्टिस अरुण मिश्रा को ही जाता है। मंगलवार को जस्टिस अरुण मिश्रा ने अपने कार्यकाल का आख़री फैसला उज्जैन महाकाल मंदिर के संरक्षण के उपायों को लेकर सुनाया। जस्टिस मिश्रा ने उज्जैन के महाकाल मंदिर की शिवलिंग के क्षरण के मामले में दिशा-निर्देश जारी किए। अरुण मिश्रा की बेंच ने ही 2018 में ही इस मामले में महाकाल के पूजन के लिए 8 सुझाव दिए थे। अरुण मिश्रा ने अपने आखिरी केस की सुनवाई के दौरान साथी जजों से कहा कि 'शिवजी की कृपा से ये आखिरी फैसला भी हो गया।'
जस्टिस अरुण मिश्रा ने विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री के बाद उन्होंने कानून की पढ़ाई की। उनके पिता हरगोविंद मिश्रा जबलपुर हाईकोर्ट के वकील रह चुके हैं। जस्टिस अरुण मिश्रा को पहली बार साल 1999 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का एडिशनल जज बनाया गया था। 2010 में स्थाई नियुक्ति के बाद उनका ट्रांसफर राजस्थान हाईकोर्ट में हुआ। इसी साल वो राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्ण काालिक मुख्य न्यायाधीश भी बनाए गए। क़रीब 2 साल बाद वो कोलकाता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने पर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने में उन्हें दो और साल लगे। 2014 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया।
आज जस्टिस अरुण मिश्रा के कार्यकाल का आख़री दिन है। आज उनके लिए विदाई समारोह आयोजित नहीं हुआ है। परंपरा के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के वकीलों की संस्था SCBA रिटायर होने वाले के लिए विदाई समारोह का आयोजन करती है। SCBA के कार्यक्रम में जस्टिस अरुण मिश्रा ने आने से यह कह कर इंकार कर दिया था कि कोरोना को देखते हुए वो इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकते।
आज रिटायरमेंट के दिन आखिर बार कोर्ट में बैठे रहे जस्टिस अरुण मिश्रा के लिए AG के के. वेनुगोपाल ने विदाई संदेश देते हुए कहा कि हुए निराशाजनक है कि यह विदाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की जा रही है, हम उम्मीद कर रहे हैं कि वह दिल्ली में ही रहेंगे अभी सिर्फ 65 वर्ष के ही हैं, पिछले 30 सालों से मेरे जस्टिस अरुण मिश्रा से अच्छे संबंध है, हम सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अरुण मिश्रा को मिस करेंगे, जस्टिस मिश्रा के अच्छे स्वास्थ्य की कमान करते हैं।
वहीं CJI बोबडे ने कहा एक सहयोगी के रूप में जस्टिस अरुण मिश्र का साथ होना सौभाग्य की बात है, मैं उनके साथ अदालत में पहली बार बैठा हूं और यह उनके अंतिम बार है,जस्टिस अरुण मिश्रा अपने कर्तव्यों का पालन करने में साहस और धैर्य का प्रतीक रहे हैं। CJI ने कहा कि व्यक्तिगत तौर पर भी मुझे आपके कर्तव्यों का पालन करते हुए आने वाली कठिनाइयों का अहसास है। मैं ऐसे लोगों को नहीं जानता, जिन्होंने कई मुश्किलों का सामना करने के बाद भी बहादुरी से काम किया।
इस मौके पर जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि मैं जो कुछ भी कर सका, वह इस अदालत की सर्वोच्च शक्तियों से ही पाया, मैंने जो कुछ भी किया उसके पीछे आप सभी की शक्ति थी। साथ ही उन्होंने कहा कि कभी-कभी मैं अपने आचरण में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से बहुत कठोर रहा हूं, किसी को चोट नहीं लगनी चाहिए। हर फैसले का विश्लेषण करें और उसे किसी तरह से रंग न दें। अगर मुझसे किसी को चोट लगी है तो कृपया मुझे क्षमा करें। जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि अवमानना मामले में एटॉर्नी जनरल चाहते थे कि सजा न दी जाए, पर यह जरूरी था। मैं सबका धन्यवाद करते हुए विदा ले रहा हूं।
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