नई दिल्ली: दिल्ली के बॉर्डरों पर नए कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसानों को वहां से हटाने और उन्हें एक स्थान पर भेजने की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की संभावना है।
याचिका एक कानून के छात्र द्वारा दायर की गई थी, जिन्होंने कोविड-19 महामारी का हवाला देते हुए प्रदर्शनकारियों के बैठने की जगह को बदले की मांग की, क्योंकि यहां पर आने-जाने वालों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है और कोरोना वायरस संक्रमण एक सुपर स्प्रेडर बन सकता था।
याचिकाकर्ता ने सीएए-एनआरसी कानूनों के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में फरवरी के विरोध प्रदर्शनों का हवाला दिया, जहां न्यायमूर्ति एसके पॉल की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने कहा कि यह लोगों के विरोध का एक मौलिक अधिकार है, लेकिन केवल ऐसी जगह पर बैठकर, जहां दूसरों को असुविधा पैदा ना हो।
सरकार ने पहले किसानों को बुराड़ी पार्क में ट्रांसफर करने के लिए कहा था। हालांकि, आंदोलनकारी किसानों को इससे इनकार कर दिया गया था।
याचिकाकर्ता ने मांग की है कि किसानों को एक जगह दी जाए और कोविड-19 दिशानिर्देशों का पालन किया जाए, जिसमें अनिवार्य रूप से मास्क पहनना शामिल है।
दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हजारों किसान मोटे तौर पर COVID-19 - सुरक्षात्मक मास्क बिना देखे जा सकते हैं।
पंजाब के भटिंडा के एक किसान गगनदीप सिंह ने कहा, ''सरकार ने पहले ही इन कानूनों के साथ किसानों की गर्दन काट दी है, हम कोरोना वायरस से नहीं डरते।''
इस महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक स्थानों पर फेस मास्क पहनने, सोशल डिस्टेंसिंग मानदंडों का पालन न करने और उनके सख्त क्रियान्वयन के लिए सुझाव मांगे जाने पर COVID-19 दिशानिर्देशों के उल्लंघन पर चिंता व्यक्त की।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से भी पूछा कि वे केंद्र और अन्य हितधारकों को चेहरे पर मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग पर दिशानिर्देशों को सख्ती से लागू करने का आदेश देते हैं।
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