नई दिल्ली: लद्दाख में चीन के साथ बढ़ते तनाव को देखते हुए भारत भी अपनी सेना को मजबूत करने में जुटा हुआ है। आज भारत ने भारतीय वायु सेना के एक सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू जेट में स्वदेशी न्यू जेनरेशन एंटी-रेडिएशन मिसाइल (एनजीआरईएम) का परीक्षण किया। इस मिसाइल को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन ने तैयार किया है।
इस मिसाइल को रुद्रम-1 भी कहा जाता है। इसकी सीमा 250 किलोमीटर है। इसे 500 मीटर से लेकर 15 किमी तक की ऊंचाई से दागा जा सकता है। यह एक एंट्री रेडिएशन मिसाइल है, जो रडार जैसे उत्सर्जक लक्ष्य को मार सकती है। इसके साथ ही यह मिसाइल हवा में भारतीय लड़ाकू विमान की मारक क्षमता को बढ़ाएगी और टैक्टिकल कैपेबिलिटी को भी बढ़ाएगी। इससे भारतीय वायुसेना को दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को काफी अंदर जाकर उसे नष्ट करने की क्षमता हो गई है। ये मिसाइल किसी भी तरह के सिग्नल और रेडिएशन को पकड़ सकती है। साथ ही अपनी रडार में लाकर ये मिसाइल नष्ट कर सकती है।
यह छठी मिसाइल है, जिसका परीक्षण भारत ने पिछले 20 दिनों में किया हैं। 23 सितंबर को भारत ने एक अर्जुन टैंक से एक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल का परीक्षण किया। 30 सितंबर को भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल के विस्तारित-रेंज संस्करण का परीक्षण किया। जबकि मिसाइल के पुराने संस्करण में मार करने की क्षमता 290 किमी थी, जिसको बढ़ाकर 400 किमी से अधिक किया गया था।
अक्टूबर की शुरुआत में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा हाइपरसोनिक परमाणु-सक्षम शौर्य मिसाइल का परीक्षण किया गया था। मिसाइल भारत की K-15 पनडुब्बी द्वारा लॉन्च की गई बैलिस्टिक मिसाइल का एक संस्करण है, जो लगभग 750 किमी की दूरी पर सटीकता के साथ दुश्मन के लक्ष्य को मार सकती है।
5 अक्टूबर को भारत ने टॉरपीडो की सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड का परीक्षण किया। यह एक ऐसी प्रणाली है, जिसका इस्तेमाल दुश्मन की पनडुब्बियों को टारपीडो रेंज से परे करने के लिए किया जा सकता है। इस महीने के अंत में, भारत अपनी निर्भय सबसोनिक क्रूज मिसाइल का परीक्षण कर सकता है।
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