कुन्दन सिंह, दिल्ली: रेलवे के तेजी से माल ढुलाई के लिए बनने वाले डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का 350 किलोमीटर सेक्शन अगले महीने शुरू होने वाला है। इसके शुरू होते ही दिल्ली से कानपुर के बीच रेल नेटवर्क में होने वाला कन्जेशन काफी हद तक कम हो जाएगा। जिससे इस रूट में ट्रेनों की स्पीड बढ़ेगी और यात्री गाड़ियों के लिए ज्यादा स्पेस उपलब्ध होगा।
लंबी लंबी पटरियों का फैला जाल डीएफसीसी के ईस्टर्न कॉरोडोर का कानपुर के भावपुर से खुर्जा के बीच का सेक्शन है। ट्रायल रन के दौरान रेलवे की पुरानी लाइन पर ट्रैफिक का लोड कम हो जाएगा और ट्रेनें भी समय पर चलना और उनकी स्पीड बढ़ाना आसान हो जाएगा। यह दोनों कॉरिडोर साल 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा।
DFCC को भारतीय रेल में बदलाव के लिहाज से बहुत बड़ा काम माना जाता है। रेलवे फिलहाल मालगाड़ियों के लिए समर्पित दो गलियारों का निर्माण कर रहा है। इसका ईस्टर्न कॉरिडोर लुधियाना से कोलकाता के पास दानकुनी तक 1856 किलोमीटर लंबा है। जबकि वेस्टर्न कॉरिडोर दिल्ली के पास दादरी से मुम्बई के जवाहर लाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट तक जाता है। यह कॉरिडोर 1506 किलोमीटर लंबा है।
डीएफसीसी के एमडी आरएन सिंह का कहना है कि अभी हम जो सेक्शन खोल रहे हैं उससे दिल्ली से पटना या हावड़ा जाने वाली ट्रेनों को बहुत फायदा होगा। ट्रेनों का समय पर आना होगा और ट्रेनें घंटे पहले तक पंहुच सकेंगी। डीएफ़सी भारत में रेल सेवा के लिहाज से ऐतिहासिक माना जाता है। यह न केवल माल यातायात को रफ़्तार देगा बल्कि बल्कि मुसाफ़िरों को भी इससे काफ़ी राहत मिलने वाली है। भारत में माल यातायात के लिए कुल 6 गलियारे बनने हैं।
डीएफ़सी का इस्टर्न कॉरिडोर कॉरिडोर प. बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब को जोड़ेगा। जबकि वेस्टर्न कॉरिडोर से पूरे एनसीआर, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र को बड़ा लाभ मिलने वाला है। रेलवे के लिहाज से सबसे ज़्यादा लोड दिल्ली- हावड़ा लाइन पर है और इसलिए डीएफसी का इस्टर्न कॉरिडोर एक वरदान साबित हो सकता ह।. इस पूरे कॉरिडोर की एक और खासियत यह भी है इस पर रेल की एक पटरी को 260 मीटर लंबा रखा गया गया है। अब तक भारतीय रेल में 13 मीटर लंबे टुकड़े का ही इस्तेमाल होता रहा है।
ऐसी पटरियों को फैक्ट्री से लाने के लिए डीएफसी ने इस तरह की खास गाड़ी बनाई है जो फैक्ट्री को रेल लाइन से इन्हें यहां तक पहुंचाती है। डीएफसी के इन ट्रैक पर फिलहाल 100 किलोमीटर की अधिकतम रफ्तार से मालगाड़ियां दौड़ सकेंगीं और इसकी औसत रफ्तार 70 किलोमीटर प्रति घंटा होगी।
जबकि मौजूदा समय में यह महज़ 26 किलोमीटर प्रति घंटे की औसत रफ्तार से चल पाती है। अभी दिल्ली सो कोलकाता या मुंबई जाने में 2-3 दिन लग जाता है जबकि डीएफसी 24 घंटे में यह दूरी तय कर लिया जाएगा। ईस्टर्न और वेस्टर्न डीएफ़सी के लिए 3300 किलोमीटर से भी ज्यादा नई रेल लाइनें बिछाई जानी है और यह भारत में रेल का सबसे बड़ा विस्तार होगा।
ईस्टर्न कॉरिडोर के लिए जहां वर्ल्ड बैंक भारत की मदद कर रहा है वहीं वेस्टर्न कॉरिडोर के लिए जापान के जाइका ने कर्ज दिया है। ये दोनों कॉरिडोर करीब 90 हजार करोड़ की लागत से तैयार किये जा रहे हैं। डीएफसी से न केवल माल यातायात और मुसाफिरों को फ़ायादा होगा बल्कि एक मालगाड़ी के चलने से 1300 ट्रकों का लोड सड़कों से कम होगा।
डीएफसीसीआईएल की स्टडी के मुताबिक दोनों कॉरिडोर के शुरू होने के बाद भारत में हर साल 560 मिलियन टन कार्बन डायऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा। यानि यह पर्यावरण के लिहाज से भी भारत को दुनिया में ख़ास जगह दिलाएगा।
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