भूपेन्द्र सिंह, अहमदाबादः अहमदाबाद स्थित इसरो के बड़े वैज्ञानिक के लगाए एक सनसनीखेज आरोप से विज्ञान जगत में हलचल मच गई है। इसरो के पूर्व निदेशक तपन मिश्रा ने आरोप लगाया है कि मुझे जहर देकर जान से मारने की कोशिश की गई।
अहमदाबाद स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के पूर्व निदेशक तपन मिश्रा ने दावा किया है कि 2017 में उन्हें जहर दिया गया था। तपन मिश्रा ने ये दावा अपनी फेसबुक पोस्ट में किया है। हालांकि वो इस बात का खुलासा नहीं कर पाए की उन्हें ये जहर किसने और क्यों दिया?
अहमदाबाद स्थित इसरो के बड़े वैज्ञानिक तपन मिश्रा का खुद से जान से मरने की कोशिश करने के आरोप ने खलबली मच गई है। अहमदाबाद स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के पूर्व निदेशक और फिलहाल सलाहकार तपन मिश्रा ने दावा किया है कि 2017 में उन्हें जहर दिया गया। मिश्रा का आरोप है कि उन्हें तीन साल में तीन बार जान से मारने की कोशिश की गई। 5 जनवरी को उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में इसका खुलासा किया है। तपन मिश्रा ने ये दावा अपनी फेसबुक पोस्ट में किया है, तपन मिश्रा ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा कि यह जहर उन्हें बेंगलुरू में प्रमोशन इंटरव्यू के समय दिए गए नाश्ते में मिलाकर दिया गया था।
23 मई 2017 को उन्हें जानलेवा आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड दिया गया। इंटरव्यू के बाद वो बड़ी मुश्किल से बेंगलुरु से अहमदाबाद वापस आए थे, उन्हें जो जहर दिया गया, वो एक इनऑर्गेनिक ऑर्सेनिक था। इसकी एक ग्राम मात्रा किसी इंसान को मारने के लिए काफी होती है। तपन मिश्रा का आरोप है की उस घटना के बाद उन्हें लगातार दो साल इलाज कराना पड़ा। तपन मिश्रा ने अपना इलाज जायडस कैडिला अहमदाबादए टाटा मेमोरियल अस्पताल मुबंई और एम्स दिल्ली में करवाया। इस इलाज में उन्हें करीब दो साल का समय लग गया।
तपन मिश्रा ने अपने दावे के सबूत के तौर पर जांच रिपोर्ट एम्स का पर्चा और अपने हाथ पैर के कुछ फोटो भी फेसबुक पर पोस्ट किए हैं। मिश्रा के मुताबिक अहमदाबाद लौटने के बाद उनको एनल ब्लीडिंग हो रही थी। उनको अहमदाबाद के अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही थी, त्वचा निकल रही थी। हाथों और पैर की उंगलियों से नाखून उखड़ने लगे थें। न्यूरोलॉजिकल समस्याएं जैसे हापोक्सिया, हड्डियों में दर्द, सेंसेशन, एक बार हल्का दिल का दौरा, आर्सेनिक डिपोजिशन और शरीर के बाहरी और अंदरूनी अंगों पर फंगल इंफेक्शन हो रहा था।
तपन मिश्रा का दावा है कि इस जहर के लेने के बाद कोई नहीं बचता लेकिन स्वाद अच्छा न लगने से उन्होंने खाना कम खाया और जिससे वो बच गए। तपन मिश्रा ने फेसबुक पर लिखा है कि इसरो में हमें बड़े वैज्ञानिकों की संदिग्ध मौत की खबर मिलती रही है, साल 1971 में प्रोफेसर विक्रम साराभाई की मौत संदिग्ध थी। उसके बाद 1999 में VSSC के निदेशक डॉ एस श्रीनिवासन की मौत पर भी सवाल उठे थे, इतना ही नहीं 1994 में श्री नांबीनारायण का केस भी सबके सामने आया था, लेकिन मुझे नहीं पता था कि एक दिन मैं इस रहस्य का हिस्सा बनूंगा और इसीलिए उन्होंने फेसबुक पर ये पोस्ट की है ताकि अगर उन्हें कुछ हो जाय तो लोगो को इस साजिश का पता चले एइसी जनवरी में तपन मिश्रा रिटायर हो रहे है।
साइंटिस्ट के मुताबिक, ष्दूसरा हमला चंद्रयान 2 की लॉन्चिंग के दो दिन पहले हुआ। 12 जुलाई 2019 को हाइड्रोजन साइनाइड से मारने की कोशिश हुई। हालांकि, NSG अफसर की सजगता से जान बच गई, उनका ये भी कहना है की उनके घर में सुरंग बनाकर जहरीले सांप छोड़े। तीसरी बार सितंबर 2020 में आर्सेनिक देकर मारने की कोशिश हुई। डॉ मिश्रा ने इसे अंतरराष्ट्रीय जासूसी हमला बताया है। उन्होंने विक्रम साराभाई की रहस्यमय मौत का हवाला देकर केंद्र सरकार से जांच की मांग की है।
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