के जे श्रीवत्सन, जयपुर: कोविड वैक्सीन को लेकर राजस्थान सरकार के तीखे सवालों के बीच शुक्रवार को राजस्थान में कोरोना वैक्सीनेशन के दूसरे दौर का होगा। इस बार कोशिश की जा रही है कि गत 2 जनवरी को ग्रामीण इलाकों सहित जहां पर वैक्सीनेशन की मॉक ड्रिल की प्रक्रिया नहीं हुई थी, उन जिलों में इस बार ट्रायल में परखा जाएगा, ताकि यह पता चल सके की ग्रामीण इलाकों में इन्हें पहुंचाने, वैक्सीन लगाने और उसमें लगने वाले वक्त के साथ वहां पर इन्हें सुरक्षित रखे जाने की क्या व्यवस्था है। वैसे राजस्थान सरकार इस ट्रायल को 24 घंटे पहले ही करवाना चाहती थी लेकिन केंद्र सरकार के इसे शुक्रवार 8 जनवरी को पूरे देश में किये जाने के चलते अब इसी दिन राजस्थान में भी इसका ट्रायल होगा।
सबको इंतजार है अब कोविड के वेक्सिन के आने का और राजस्थान सरकार भी अपनी तैयारियों को उसी के अनुसार अंजाम देने में भी जुटी है लेकिन केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री से राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने दो टूक शब्दों में पूछ ही लिया की आखिरकार राजस्थान को कब और कितनी मात्रा में यह वेक्सिन मिलने वाली है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री से हुवी विडियो कोंफ्रेन्न्सिंग के दौरान राजस्थान सरकार की ओर से यह सवाल पूछे गए। जिसमें कहा गया कि अचानक वैक्सीन भेजकर सही तरीके से पहुंचाने पर हड़बड़ी की गुंजाईश हो सकती है। इसके अलावा वैक्सीन बनाने वाली कम्पनियों के बीच हो रही बहसबाजी को भी लोगों के बीच इसे लेकर पैदा कर रही भ्रांतियों की चिंता से भी राजस्थान के सवास्थ्य मंत्री ने केंद्र को अवगत करवा दिया है और मांग की है कि सार्वजनिक रूप से कंपनियों के प्रतिनिधि को ऐसा करने से रोका जाए। वर्ना वैक्सीन आने के बाद भी इसे लगवाने वाले लोगों की संख्या काफी कम हो सकती है जो की इस महाभियान की सफलता के लिए अच्छा नहीं रहेगा।
चरण चरणों में होना है पूरा वेक्सिनेशन
जानकारों की माने तो राजस्थान में चार चरणों में वेक्सिनेशन का यह काम पूरा होगा. पहले चरण में हेल्थ वर्कर्स को इसे लगाया जाएगा। उसके बाद 60 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों को उसे लगाया जाएगा, इसके अगले दो चरों में ही आम आदमी तक वेक्सिन की यह डोज पहुंच पाएगी।
हालांकि अभी यह भी तय नहीं हुआ है कि क्या अगले चरणों में भी हेल्थ वर्कर्स की तरह सभी को कोविड की वैक्सीन फ्री में मिलेगी या नहीं! हेल्थ वर्कर्स को सबसे पहले वेक्सिनेशन के लिए चुने जाने का मकसद इन्हें सुरक्षित रखने के साथ साथ यह सन्देश भी देना होगा की स्वास्थ्य विभाग के अधिकारीयों पर इसके सफल होने के बाद वेक्सिन को लेकर आम जनता के बीच कोई संशय ना रहे। सरकार को लगता है कि हेल्थ वर्कर्स चूँकि ना केवल अपने स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा चोकन्ने होते हैं बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं से लगातार जुड़े भी होते हैं ऐसे में शुरुवाती चरण में ही पता चल जाएगा की वेक्सिन के साईड इफेक्ट किस तरह से हैं और उससे किस तरह से आसानी से निपटा जाए।
तैयार हैं राजस्थान में तीन हज़ार पोईन्ट्स
राजस्थान में कुल 3000 पाईंट पर वैक्सीनेशन का यह काम होगा। जिसके तहत हर सेंटर पर तीन तीन रूम बनाए गए हैं। जहां रजिस्ट्रेशन और वेटिंग रूम, टीकाकरण रूम और मोनिटरिंग रूम होंगे। स्टेट लेवल पर इस अभियान की निगरानी के लिए टास्क फ़ोर्स भी बना दिया गया है ओरियंटेशन का काम भी पूरा हो चुका है। कलेक्टर से लेकर एस डी एम् तक को ख़ास तौर पर प्रक्षिशित किया गया है। वेक्सिनेशन के लिए हर सेंटर पर 5 लोगों की टीम मौजूद होगी। जिसमें से एक टीका लगाने वाला होगा, जबकि 4 वेक्सीनेटर अधिकारी होंगे।
4 लाख 25 हज़ार हेल्थवर्कर्स ने कराया वेक्सिन के लिए रजिस्ट्रेशन:-
चिकित्सा विभाग के अधिकारीयों के अनुसार अभी सबसे पहले हेल्थ वारियर्स को ही इसे पहले चरण में नि:शुल्क लगाया जाना है ऐसे में उनके रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया है। अधिकारिक जानकारी के अनुसार, अब तक प्रदेश में 4 लाख 25 हज़ार हेल्थ वर्कर्स ने “कोविन एप” के जरिये अपना रजिस्ट्रेशन भी करवा दिया है। इसे देखते हुए राजस्थान में करीब 5 लाख हेल्थ वर्कर्स को पहले चरण में कोरोना वेक्सिनेशन किये जाने की डिमांड भेजी गयी है। सभी को कोरोना से लड़ने के लिए दो डोज़ लगाए जाने हैं ऐसे में पहले चरण में इनके लिए 10 लाख डोज़ की जरुरत होगी।
3 जगह पर तैयार है वेक्सिन रखने के राज्य स्तरीय स्टोरेज सेंटर
राजस्थान में तीन जगह पर राज्य स्तरीय स्टोरेज सेंटर बनाए गए हैं। जयपुर, जोधपुर और उदयपुर में ये स्टोरेज सेंटर होंगे। जबकि 7 डिविजन मुख्यालय पर भी वेक्सिन को रखने की व्यवस्था होगी। 2444 कोल्ड स्टोरेज चैन प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर बनाए गए हैं। इसके साथ ही 181 हेल्प लाईन का नंबर भी जारी किया गया है जहां वैक्वेसीन लगवाने में और उसके बाद आने वाली सभी समस्याओं का निराकरण किया जाएगा।
यह सच है की पिछले कुछ दिनों से कोरोना संक्र्कामं के राजस्थान में लगातार मामले कम हो रहे हैं लेकिन कोरोनाकाल में लोगों को अधिक जांच का सपना दिखाकर राज्य सरकार की ओर से करीब 8 करोड़ रूपये की लागत से जब कोरोना पीक पर था ,तब खरीदी गयी बेशकीमती कोबास मशीन से अब तक कोई जाँच नहीं हो पायी है।
यह मशीन करीब तीन पहले पहले ही सूबे के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसएमएस में खरीद कर पहुंचा दी गयी लेकिन इस मशीन का उपयोग ट्रायल से आगे अब तक नहीं बढ़ सका है। दावा किया जा रहा था की इस मशीन के आने के बाद कोरोना संक्रमण की जांच रिपोर्ट की क्षमता 10 हज़ार तक बढ़ जायेगी जिसके चलते संक्रमित व्यक्ति का इलाज भी जल्द शुरू हो सकेगा। अब जबकि कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या ज्लागातर घाट रही है तो अधिकारी कह रहे हैं कि इस मशीन का उपयोग दूसरी जांचों के लिए किया जाएगा।
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