नई दिल्लीः योगी सरकार ने यूपी में नई शुरुआत करते हुए स्थानीय दस्तकारों और कारीगरों की मदद के लिए विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना चालू की है। गांव, कस्बे और शहरों में बड़ी संख्या में रहने वाले हुनरमंदों के लिए यह योजना बहुत फायदेमंद बन गई। इससे समाज के सबसे कमजोर लेकिन महत्वपूर्ण तबके मसलन लोहार, राजमिस्त्री, दर्जी, बढ़ई, कुम्हार, नाई, धोबी, भड़भूजा, मोची व सुनार लोगों के हुनर को नई पहचान मिली है।
बता दें कि योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इस तबके के व्यापक हित के मद्देनजर दिसंबर 2018 में इस योजना की नींव रखी थी। की शुरुआत की थी। मकसद था प्रशिक्षण, उन्नत टूलकिट और वित्तीय मदद के जरिए इनकी दक्षता, उत्पादन क्षमता और उत्पाद की गुणवत्ता को बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाना। इस क्रम में चयनित लोगों को विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है। योजना को सुगम और व्यापक बनाने के लिए ऑनलाइन शुरू कर दिया गया है, जिससे लोगों को कोई दिक्कत पैदा न हो।
इस दौरान प्रतिदिन की दर से 250 रुपए डीबीटी के जरिए उनके खाते में डाल दिया जाता है। प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों को उनके पेशे से जुड़ा नि:शुल्क उन्नत किट भी दिया जाता है। अगर वह अपने काम को विस्तार देने के इच्छुक हैं तो उनको पीएम मुद्रा या सीएम स्वरोजगार योजना के तहत उदार शतोर्ं पर बैंकों से ऋण दिलाने में भी सरकार मदद करती है।
अपर मुख्य सचिव सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग नवनीत सहगल ने बताया कि साल 2018-19 और 2019-20 में इस योजना से लाभान्वित होने वालों की संख्या क्रमश: 7,474 और 19,938 रही। मौजूदा वित्तीय वर्ष में अब तक 1,12,889 आवेदन आ चुके हैं। इनमे से करीब 20 हजार लोगों को प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है। इनमें बड़ी संख्या में वह भी हैं जो लॉकडाउन के नाते दूसरे प्रदेशों से अपने घर लौटे हैं। पहले चरण में 4,500 लोगों ने ऋण के लिए भी आवेदन किया है।
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