नई दिल्ली: बिहार चुनाव के बाद आरजेडी के आरोप थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। हालांकि तेजस्वी के आरोपों पर चुनाव आयोग ने जवाब दे दिया है कि किसी भी तरह की धांधली नहीं हुई है, लेकिन इसके बावजूद आरजेडी आरोप पर आरोप लगाए जा रही है।
आरजेडी ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा, हार से दुःखी होना एक बात है! पर अपने ही नियमों व प्रक्रियाओं की अनदेखी करने वाले चुनाव आयोग और उसे सेवाएं दे रहे नीतीश के चुने हुए प्रशासन के चापलूस व भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा जैसे तैसे कर जर्बदस्ती हरवा देने से पूरी तरह से असंतुष्ट व क्रुद्ध होना दूसरी बात है!
आरजेडी ने एक अन्य ट्वीट में नीतीश कुमार पर तंज कसे। आरजेडी ने ट्वीट किया, नीतीश जी बार बार दोहराते रहते हैं -"हम सिर्फ़ काम करते रहते हैं!" और पूरे बिहार के नागरिक सोच सोच कर परेशान हो जाते हैं कि कौन सा काम करते हैं? कहां व कब काम करते हैं? अगर काम करते तो जीतने के लिए छल क्यों करना पड़ता? BJP को बैसाखी क्यों बनाना पड़ता? चुनाव में नकारे क्यों जाते?
तेजस्वी और आरजेडी के आरोपों पर बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) एचआर श्रीनिवास ने इस मामले पर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हिलसा विधानसभा क्षेत्र का चुनाव परिणाम निर्वाचन आयोग द्वारा उल्लेखित प्रक्रिया के अनुसार ही घोषित किया गया है। तेजस्वी के धांधली वाले दावे को खारिज किया है और जदयू की जीत को क्लीन चिट दे दी है।
श्रीनिवास ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों में से 11 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां जीत का अंतर 1 हजार वोटों से कम था। 11 विधानसभा क्षेत्रों में से जदयू ने 4, राजद ने 3, भाजपा, लोजपा, भाकपा और निर्दलीय ने एक-एक सीट जीती है। सीईओ ने कहा कि इन 11 विधानसभा सीटों में से उम्मीदवारों या चुनाव एजेंटों ने छह निर्वाचन क्षेत्रों में वोटों की दोबारा गिनती कराने की मांग की थी।
पुनरीक्षण याचिका खारिज
उन्होंने कहा कि रिटर्निंग अधिकारियों ने पांच सीटों पर जीत के लिए पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया। नालंदा जिले के हिलसा निर्वाचन क्षेत्र में जीत का अंतर (12 मत) अस्वीकृत डाक मतपत्रों (182) की तुलना में कम होने के कारण फिर से गिनती की याचिका स्वीकार कर ली गई। हिलसा में जदयू के उम्मीदवार को महज 12 वोटों से जीत मिली, जबकि अस्वीकार किए गए पोस्टल बैलेट की संख्या 182 थी, जबकि पांच निर्वाचन क्षेत्रों- रामगढ़, मटिहानी, भोरे, डेहरी और परबत्ता में जीत का अंतर अस्वीकृत पोस्टल मतपत्र से अधिक था।
श्रीनिवास ने कहा कि 18 मई, 2019 को चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए नवीनतम निर्देशों के अनुसार, हिलसा के मामले में ऐसा किया गया। रिटर्निंग ऑफिसर ने हिलसा में पूरे डाक मतपत्रों की फिर से गिनती की और इस संबंध में एक तर्कपूर्ण आदेश पारित किया गया। एक प्रश्न के जवाब में सीईओ ने कहा कि उनका कार्यालय संबंधित दस्तावेज और वीडियोग्राफी की प्रति संबंधित पार्टी को उपलब्ध कराएगा।
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