के जे श्रीवत्सन, जयपुर: अपनी ही पार्टी की सरकार के अल्पमत में होने का बयान देकर राजस्थान की राजनीती में भूचाल लाने वाले सचिन पायलट ने सोमवार को को अपना 43 वां जन्मदिन राजनितिक शक्ति प्रदर्शन के रूप में मनाया। उनके समर्थकों ने जगह-जगह रक्तदान जैसे बड़े कार्यक्रमों का आयोजन करके जताने की कोशिश की है की सीएम अशोक गहलोत के सचिन पायलट को गद्दार, मक्कार, धोखेबाज़, नकारा और बेशर्म कहने के बाद भी वे अपने इस नेता के साथ ही हैं। साथ ही इन नेताओं ने सत्ता और संघटन में वापसी की उम्मीदें भी जताई है।
राजस्थान की राजनीतिक में आया सियासी उथल पुथल भले ही अब खत्म हो गया है, लेकिन सचिन पायलट खेमे की बैचेनी शायद अब तक खत्म नहीं हुई है। बगावत का झंडा बुलंद करने के बाद सचिन पायलट बड़े खामोशी से अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस में वापस आ गए लेकिन सत्ता और संघटन में पहले की तरह मजबूत पकड़ के लिए अभी उनकी छटपटाहट मानों खत्म नहीं हुई है। सोमवार को सचिन पायलट के 43 वें जन्मदिन के मौके पर राजस्थान में एक तरह का शक्ति प्रदर्शन देखने को मिला। जहां उनके समर्थकों ने कुछ खास करने की तैयारियां काफी दिन पहले से शुरू कर दी थी।
जन्मदिन के मौके पर सचिन पायलट जहां फेसबुक और माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर लाइव आये। वहीं उनके समर्थकों ने जन्मदिन की बधाईयों वाले कई बड़े पोस्टर बैनर के साथ रक्तदान जैसे कई बड़े कार्यक्रमों का आयोजन कर जता दिया की भले ही पायलट के पास अब उपमुख्यमंत्री या पीसीसी अध्यक्ष की कुर्सी नहीं हैं लेकिन उनके साथ आज भी ये लोग खड़े हैं।
जानकारों की माने तो करीब 20 साल में यह पहला मौका था, जब पायलट किसी पद पर नहीं रहते हुए जन्मदिन मना रहे हैं। वैसे 43वर्ष की उम्र में पायलट 10 वर्ष तक सांसद रहे तथा फिर 7 वर्ष तक लगातार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। दो माह पहले तक पायलट प्रदेशाध्यक्ष के साथ साथ डिप्टी सीएम भी थे। सत्ता में वापसी के बाद साल 2019 में तो के जन्मदिन के समय जयुपर में जबर्दस्त भीड़ जमा हुई थी और तब रघु शर्मा, प्रताप सिंह खाचरियावास जैसे मंत्री कतार में खड़े होकर पायलट से मिलने को बेताब भी दिखे थे। लेकिन इस बार यह सब नदारद है, और अब ताकत दिखने की कमान उनके समर्थकों ने ही उठा ली है।
दरअसल सचिन पायलेट जब तक उपमुख्यमंत्री और पीसीसी अध्यक्ष थे उन्होंने अपने समर्थकों को कई बड़े पदों से नवाजा, लेकिन बगावत के बाद खुद सचिन पायलट को तो उपमुख्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ा। साथ ही उनके समर्थकों को भी उनकी बर्खास्तगी के साथ ही हटा दिया गया। नतीजा कांग्रेस में बिना पद अब सचिन पायलट के समर्थकों के लिए रहना तक मुश्किल हो रहा है। चूंकि इन्होंने बगावत के दौरान सचिन का खुलकर समर्थन करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को जमकर कोसा तो अब इस खेमे से भी उन्हें अलग थलग कर दिया गया है।
ऐसे में ना चाहते हुए भी इन लोगों के पास सचिन पायलेट का साथ खड़े होने के अलावा कोई और चारा नहीं बचा है। इन हालातों के चलते उन नेताओ को मुंह भी छिपाना पड़ रहा है, जिन्होंने पायलट के हटने के बाद सत्ता के लालच में पाला बदल लिया था। चूंकि पूरे राजस्थान में खासकर गुज्जर बाहुल्य इलाकों के साथ सचिन पायलेट के निर्वाचन क्षेत्र टोंक में जन्मदिन के इस कार्यक्रम को पायलट के शक्ति परीक्षण के रूप में देखा जा रहा है।
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