के जे श्रीवत्सन, जयपुर, नई दिल्ली: निजी स्कूलों में मनमाने तरीके से कोरोनाकाल में अभिभावकों से फीस वसूली के मामलें में राजस्थान हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई टल गई। मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत माहंती के नॉन सीटिंग होने के चलते मामले को गुरूवार तक के लिए टाल दिया गया। उधर अभिभावकों की चिंता इस लिए भी अब और बढ़ गयी है क्योंकि निजी स्कुल वालों ने मोटी फ़ीस देकर अभिषेक मनु सिंघवी को अपना वकील खड़ा कर दिया है जो की गुरूवार को विडियो कोंफ्रेंस के जरिये इस मामले की पैरवी करेंगे।
कोरोनाकाल में आर्थिक स्थिति के डांवाडोल होने के चलते पहले से ही अभिभावक खासे परेशान थे लेकिन अब उनकी चिंताए और भी बढ़ने के संकेत मिलने लगे हैं। कारण हाइकोर्ट की सिंगल बेंच ने करीब 15 दिन पहले निजी स्कूलों को केवल ट्यूशन फीस का 70 फीसदी अभिभावकों से लेने का अंतरिम आदेश दिया था लेकिन स्कुल जब मनमाने तरीके से पूरी फीस का 70 फीसदी वसूलने लगे तो इसे डबल बेंच में चुनौती दी गयी।
अभिभावकों के लिए राहत की बात यह है की खुद राज्य सरकार भी इसमें पार्टी बन गयी है, क्योंकि वह पहले से ही कह रही है कि कोरोनाकाल में बंद पड़े स्कुलों को इस तरह से अभिभावकों से फीस वसूली का कोई अधिकार नहीं है। सिंगल बेंच का जब फैसला आया तो सरकार कुछ हद तक इसे मानाने को तैयार हो गयी थी लेकिन ट्यूशन फीस की जगह जब निजी स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से कुल फीस का 70 फीसदी वसूलने की शिकायत आई तो उसने डबल बेंच में अपील कर दी।
राज्य के शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह का कहना है कि अदालत ने अपने फैसले में केवल ट्यूशन फीस का 70 फीसदी लेने को कहा है पूरी फीस का नहीं। उसमे भी तीन किस्त की छुट में। इसे चुकाने की अदालत ने अंतरिम फैसले के आदेश दिया था लेकिन यह भी ज्यादा ही है। हम निजी स्कूलों को अभिभावकों को इस तरह से परेशान करने की छूट नहीं दे सकते।
बुधवार को जहां चीफ जस्टिस के नान सिटिंग होने के चलते राहत की उम्मीद कर रहे अभिभावकों इसकी सूचना कोर्ट स्टाफ द्वारा फोन पर मिली तो वे मायूस उठे। मामला टलने की सूचना मिलने के साथ ही एक दुसरे को अभिभावकों के फोन आने शुरू हो गए। प्रत्येक अभिभावक यही जानना चाहता हैं कि अब क्या किया जाए। क्योंकि आज की सुनवाई से इन्हें उम्मीद थी कि डिवीजन बेंच से राहत जरूर मिलेगी।
परेशानी इस बात को लेकर थी कि सिंगल जज के 7 सितम्बर के फैसले के अनुसार ट्यूशन फीस जमा कराने की पहली किस्त की अंतिम तारीख आज है। फीस जमा नहीं कराने पर फैसले के अनुसार ही स्कूल प्रबंधन स्टूडेंट्स को ऑनलाइन क्लासेज से भी वंचित कर सकता है। अभी इस चिंता से बाहर निकलने का तरीका सोचा ही रहे थे की दोपहर तक मानों अभिभावकों के लिए एक और चिंता वाली खबर आ गई की निजी स्कूलों ने अभिषेक मनु सिंघवी जैसे नामी वकील को अपनी पैरवी के लिए रख लिया है।
अभिभावक पक्ष के वकील अमित छंगानी का कहना है कि हम डरे हुए तो नहीं है कि अभिषेक मनु सिंघवी जैसे नामी नाम इस मामले पर निजी स्कुल की पैरवी करने वाले हैं। इस मसले पर सरकार और कोर्ट के पूर आदेशों पर ही उन्हें कानून के अनुसार बहस करनी होगी। यह सही है की ट्यूशन फीस की बजाय कुल फ़ीस का 70 फीसदी निजी स्कुल वाले वसूल कर रहे हैं। डबल बेंच में हमारी बात भी इस बार पूरी सूनी जायेगी हो सकता है की अदालत 70 फीसदी फीस की बजाय स्कूलों को केवल 30 फीसदी फीस ही वसूल करने का आदेश दे दे। हम चाहते हैं की स्कूलों की मनमानी रुके और अभिभावकों को राहत मिले।
बहरहाल अब सभी को इंतजार है गुरुवार को अदालत में होने वाले इस मामले की सुनवाई और उसके बाद सरकार द्वारा इस पुरे मुद्दे पर रखे जाने वाले पक्ष का। वैसे अभिभावकों के लिए राहत की बात तो फिलहाल इतनी ही है की सरकार भी निजी स्कूलों के मनमाने तरीके से फीस वसूली को लेकर गंभीर है। सरकार का पहले भी तर्क था की उसने 9 अप्रैल और 7 जुलाई के अपने आदेश से फीस को केवल स्थगित किया था। जिसे लेकर किसी भी निजी स्कूल ने सरकार के सामने कोई आपत्ति पेश नहीं की और ना ही स्कूल की ओर से अपने खर्चों का कोई ब्यौरा दिया गया। जबकि सरकार यह जानना चाहती थी की पहले स्कूल संचालक यह बताए कि लॉकडाउन में उनका कितना खर्चा हुआ है। स्कूल नहीं खुलने से बिजली, पानी, इन्फ्रास्ट्रक्चर पर होने वाले खर्च की बचत का फायदा अभिभावकों को मिलना चाहिए। जाहिर है की सभी पक्षों के इस मुद्दे पर अपने- अपने तर्क है, ऐसे में हाई कोर्ट में होने वाली सुनवाई से लाखों अभिभावकों और हजारों स्कूल संचालकों की उम्मीद जुड़ी हुई है।
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