के जे श्रीवत्सन, जयपुर: राजस्थान में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टी के दो बड़े नेता इन दिनों अपनी ही पार्टी के नेताओं की बेरुखी के चलते खासे परेशान हैं। हम बात कर रहे हैं बीजेपी की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और कांग्रेस की ओर से पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की। ना तो इन दिनों को आजकर पार्टी की किसी बैठक में बुलाया जाता है और ना ही नगर निगम चुनावों के दौरान किसी पोस्टर में इनके चेहरे नज़र आ रहे हैं। सचिन पायलेट को तो फिर भी कांग्रेस ने अपना स्टार प्रचारक बनाकर मध्यप्रदेश और बिहार भेजा है लेकिन राष्ट्रिय उपाध्यक्ष होने और मध्य प्रदेश में अपने भांजे की ज्योतिरादित्य सिंधिया की साख दाव पर लगे होने के बावजूद भी वसुंधरा राजे को जयपुर में ही बैठने को बोल दिया गया है।
सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्ष बीजेपी में जो नेता कल तक पार्टी की ख़ास पहचान हुआ करते थे। राजस्थान में ये दोनो नेता पूरी तरह दरकिनार कर दिए लगते हैं। ये वो नेता हैं जिनके पास जन समर्थन भी अपार है और भीड़ को वोटों में तब्दील करने की भी क्षमता, लेकिन पार्टी के बड़े नेताओं को ये दोनों चेहरे मानों सुहा ही नहीं रहे हैं। कांग्रेस की ओर से सचिन पायलट की जिन्होंने की 7 साल तक न केवल पार्टी के प्रदेशअध्यक्ष रहते हुए सत्ता में वापसी में बड़ी भूमिका निभाई थी बल्कि सरकार बनने पर पूर्व उप मुख्यमंत्री भी रहे। यहां तक की साल 2018 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान सचिन पायलट के पक्ष में उनके गुज्जर समाज का ऐसा जादू चला की बीजेपी का एक भी गुज्जर प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत पाया। लेकिन अब मानों समूची राजस्थान कांग्रेस उनसे कन्नी काट रही है। यहां तक की राजस्थान में 6 नगर निगम के चुनाव हो रहे हैं लेकिन किसी भी पोस्टर में उनका चेहरा तो क्या नाम तक भी नहीं है। यहां तक की उनके समर्थकों को टिकेट देने के दौरान भी पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर दिया गया।
इस सिलसिले में सवाल पूछे जाने पर कांग्रेस के नेता इसे छोटी बात बताते हैं। राजस्थान कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी का कहना है कि यह स्थानीय निकाय के चुनाव है। मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी चुनाव मैदान में प्रचार के लिए नहीं उतरे हैं तो सचिन पायलेट की फोटो कैसे लग सकती है और उन्हें प्रचार में कैसे उतारा जा सकता है। इसका मतलब यह कतई नहीं है कि कांग्रेस में गुटबाजी है। दरअसल नगर निगम चुनावों में कांग्रेस और बीजेपी अपना घोषणा पत्र जारी कर चुकी है। जितने विवाद घोषणा-पत्र में शामिल मुद्दों को लेकर हैं, उतना ही विवाद अब इन पर छपे नेताओं की तस्वीरों को लेकर हो गया है। कांग्रेस के घोषणा पत्र से सचिन पायलट के नाम और चेहरा दोनों ही गायब है, सीएम अशोक गहलोत, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा और यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के फोटो नज़र आ रहे हैं।
वहीं बीजेपी ने भी अपने चुनावी घोषणा-पत्र में तो उसके स्टार चेहरे यानी की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का फोटो लगना तक मुनासिब नहीं समझा। इससे पहले भी पिछले दिनों हुए सेवा सप्ताह में पार्टी के 'पोस्टर्स से वसुन्धरा राजे का चेहरा गायब' रहने के बाद पोस्टर-वार की चर्चा हो रही है। राजस्थान बीजेपी के इस मुख्यालय में कभी वसुंधरा राजे के पोस्टरों की भरमार होती थी लेकिन सत्ता बदलने के साथ ही पोस्टरों के चेहरे भी पूरी तरह बदल गया, अब वसुंधरा की जगह बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पुनिया और दुसरे नेताओं के ही चेहरे इनमे नज़र आते हैं। वैसे कुछ महीने पहले तक बीजेपी राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस पर अशोक गहलोत और सचिन पायलेट के बीच तनाव का मुद्दा उठाकर गुटबाजी का बयान देती थी, लेकिन अब वसुंधरा राजे को लेकर उससे से उसके नेताओं को ही यह सवाल खासा परेशान कर रहे हैं। क्योंकि इनका जवाब देने का सीधा मतलब है किसी दुसरे गुट के नेता को नाराज़ कर देना।
वैसे इन दिनों राजस्थान में बीजेपी की कमान सतीश पुनिया के हाथों में हैं जिन्हें वसुन्धरा राजे पसंद नहीं करती। ऐसे में खुलकर नहीं तो सतीश पुनिया भी धीरे-धीरे अपने लोगों को पार्टी के बड़े पदों पर नियुक्त कर रहे हैं। यहां तक की एक दिन पहले जारी बीजेपी के “विजन डॉक्युमेंट” में भी पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की तस्वीर लगना मुनासिब नहीं समझा गया। जिसके लेकर कहा जाने लगा की घोषणा-पत्र में वसुंधरा राजे का फोटो नहीं होने का मतलब यह है वह उनके विजन को नहीं मानती हैं। पूछे जाने पर बीजेपी नेता सवाल का जवाब देने की बजाय कांग्रेस के अशोक गहलोत और सचिन पायलेट का मुद्दा उठाकर स्थिति संभालने की कोशिश करते दिखते हैं। राजस्थान बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजपाल सिंह शेखावत का कहना है कि यह सही नहीं है कांग्रेस को बताना चाहिए की उनके प्रचार सामग्री से सचिन पायलट की तस्वीर क्यों गायब है।
वैसे सचिन पायलट के लिए सुकून की बात यही कही जा सकती है की भले ही राजस्थान में उनके बगावती तेवर के बाद उनका पद छीन गया हो, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें मध्यप्रदेश और बिहार के लिए अपना स्टार प्रचारक बनाकर उतारकर यह संकेत दिया है की पायलट कि अहमियत अभी भी कम नहीं हुई है, लेकिन कांग्रेस से बीजेपी में शामिल होने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया की साख उप चुनावों में पूरी तरह दाव पर लगी होने और मध्य प्रदेश से अपने ताल्लुक होने के बावजूद भी वसुंधरा राजे को अपने भांजे के चुनाव प्रचार में नहीं उत़ारना, और ऊपर से राजस्थान में भी पार्टी के पोस्टरों तक से उनके चेहरे को गायब कर दिया जाना, कही ना कही खुद बीजेपी की राष्ट्रिय महासचिव वसुंधरा राजे के लिए चिंता का एक बड़ा सबब बना हुआ है।
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