नई दिल्ली: राजस्थान के कोटा का जेके लोन हॉस्पिटल एक बार फिर चर्चा में है। जेके लोन अस्पताल में पिछले 24 घंटों में 9 नवजात शिशुओं की मौत हो गई। जिला कलेक्टर ने इसकी जांच के लिए एक समिति का गठन कर दिया है।
जेके लोन अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक एस सी दुलारा का मामले में कहना है कि 9 नवजात शिशुओं में से 3 को मृत लाया गया, 3 को जन्मजात बीमारियां थीं और 2 रेफर के मामले थे।
घटना के बाद राजस्थान सरकार भी हरकत में आ गई है। राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा का कहना है कि 9 नवजात शिशुओं ने अपनी जान जाने की खबर सामने आई है। जिनमें से 3 को मृत लाया गया।
रघु शर्मा ने कहा, मैंने निर्देश जारी किए हैं कि किसी भी परिस्थिति में डॉक्टरों की लापरवाही के कारण किसी भी नवजात शिशु की जान नहीं जानी चाहिए। सीएम अशोक गहलोत और सरकार इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से ले रही है।
कोटा का यह अस्पताल सालभर पहले भी सुर्खियों में आ गया था, ये वही अस्पताल है, जहां पिछले साल दिसंबर और जनवरी 2020 के दौरान 30 दिनों में 100 से ज़्यादा बच्चों ने दम तोड़ दिया था।
30-31 दिसंबर काे जेके लोन अस्पताल में 9 नवजातों की माैत हुई थी। दिसंबर में नवजाताें की माैत का आंकड़ा 100 तक पहुंचा, सरकार ने जांच कमेटी बनाई थी।
जांच कमेटी ने रिपोर्ट में नवजातों की माैत का कारण अस्पताल के वेंटिलेटर-वार्मर समेत अन्य उपकरणों का खराब हाेना बताया था।
डॉक्टर ने कहा था, मृतकों में दूसरे अस्पताल से आने वाले बच्चे ज्यादा थे। नवजात के लिए बिना उपकरणों के सफर बेहद खतरनाक होता है। कड़ाके की ठंड, ट्रांसपोर्ट के दौरान सुविधाओं का अभाव और अस्पताल में सुविधाओं की कमी बच्चों की मौत का एक प्रमुख कारण बनकर सामने आई थी।
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