के.जे.श्रीवत्सन, जयपुर: राजस्थान में जयपुर, जोधपुर और कोटा के नगर निगम चुनावों (Rajasthan Nagar Nigam Election 2020) का बिगुल बज चुका है। लेकिन टिकट के बंटवारे ने कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों के नेताओं के पसीने निकाल दिए हैं। जहां बीजेपी की रविवार देर शाम को जारी सूची के बाद बीजेपी नेताओं और पार्टी दफ्तर पर जबरदस्त बवाल मचा, वहीं कांग्रेस ने इसी तरह की फजीहत से बचने के लिए आखिरी वक्त तक सूची जारी करने की बजाय प्रत्याशियों को फोन पर ही सूचना देकर सिम्बल बांट दिए। ऊपर से कोरोना संक्रमण का ऐसा खौफ कि कुछ प्रत्याशी तो पीपीई किट पहन कर नामांकन पर्चे भरने पहुंच गए। जयपुर, जोधपुर और कोटा के 560 वार्ड में 29 अक्टूबर और 1 नवंबर को दो चरणों में चुनाव होने हैं।
अक्षय मिश्रा कांग्रेस से टिकेट की दावेदारी कर रहे थे लेकिन जब नहीं मिला तो ये पीपीई किट पहनकर निर्दलीय ही नामांकन पर्चा जमा कराने पहुंच गए। हवा महल विधानसभा सभा में आने वाले वार्ड 24 से जिसने भी इन्हें देखा वही अचरज में था। कोरोनाकाल में नगर निगम के चुनाव में पर्चे भरने आए लगभग सभी उम्मीदवार इसी तरह से पीपीई किट तो नहीं, लेकिन मास्क लगाकर रिटर्निंग अधिकारी के पास आए और उन्होंने अपना नामांकन पर्चा भरा।
दरअसल सोमवार को जयपुर,जोधपुर और कोटा नगर निगम चुनावों के लिए पर्चे भरने की आखिरी तारीख थी। चूंकि इस शहरों में पहली बार दो- दो नगर निगम बनाए गए हैं ऐसे में प्रत्याशियों में भी खासा उत्साह रहा। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों के बड़े नेताओं के गहर दावेदारों की भीड़ रही। प्रत्याशी की सूची जारी करने में बीजेपी ने बाजी तो मारी लेकिन उसके नेताओं के खिलाफ जबरदस्त असंतोष नजर आया। सूची जारी होते ही टिकट नहीं मिलने से नाराज कार्यकर्ताओं ने प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया के आवास और बीजेपी मुख्यालय के सामने प्रदर्शन करना शुरू कर दिया।
कईयों ने तो निर्दलीय ही पर्चा जमा कर बगावत का ऐलान कर दिया। वहीं, इस तरह के किसी विरोध के डर से कांग्रेस ने जयपुर के साथ साथ जोधपुर के लिए भी सूची जारी ही नहीं की बल्कि विधायकों ने ही संबंधित प्रत्याशियों को फोन कर सिंबल बांट दिए। टिकेट के लिए सत्तारूढ़ कांग्रेस और बीजेपी में विधायकों और संगठन के बीच जबरदस्त घमासान और मन मुटाव भी नजर आया।
बीजेपी ने जहां संगठन ने भी प्रभावशाली नेताओं के टिकट को ज्यादा तवज्जो देकर अपने हारे हुए विधानसभा प्रत्याशियों की सूची को कम तवज्जो दी। बीजेपी ने विधायक कालीचरण सराफ के 26 में से 11 टिकट काट दिए वहीं विधायक नरपत सिंह राजवी के दिए 42 नामों में से 13 टिकट, विधायक अशोक लाहोटी के दिए 39 नामों में से 10 टिकट काटे। वहीं कांग्रेस में सचिन पायलेट समर्थकों को ठिकाने लगाने पर ही नेताओं का जोर रहा।
बहरहाल टिकट को जारी करने को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बड़े नेताओं को जितनी मशक्कत करनी पड़ी है अब उतनी ही मेहनत बागी हुए उम्मीदवारों को समझाने के लिए भी करनी पड़ेगी। क्योंकि टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर निर्दलीय ही मैदान में उतरने वाले ये नेता दोनों ही दलों के जीत के समीकरण को गड़बड़ा सकते हैं।
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