के.जे.श्रीवत्सन, जयपुर: राजस्थान में नगर निगम चुनाव इस बार काफी दिलचस्प हो गए हैं, भले ही ये चुनाव पार्षद के लिए हो रहे हैं लेकिन इसमें कई ऐसे बड़े नाम भी शुमार हैं, जिन पर अब सबकी निगाहें टिकी हैं। चुनाव प्रचार भी पूरे परवान पर है, चौंकाने वाली यह है कि पार्षद बनने की दौड़ में रिटायर DIG, ऑक्सफोर्ड से एमबीए करने वाली और 6 बार के सांसद के बेटे तक चुनाव पैदान में हैं। ये सभी पहली बार चुनाव लड़कर अपने राजनितिक जीवन की शुरुआत कर रहे हैं। यही नहीं, इनमें से ज्यादातर उम्मीदवारों की नजरें जीतने के बाद बोर्ड बनने पर मेयर और विधायकी तक पर भी अभी से लग गई हैं।
चुनाव को दिलचस्प बनने वालों में जयपुर ग्रेटर के तहत आने वाले मालवीय नगर विधानसभा क्षेत्र के वार्ड संख्या 128 से चुनाव लड़ने वाले अनिल जैन भी हैं। ये रिटायर डीआईजी भी हैं और कांग्रेस ने इस वार्ड से उन्हें अपना प्रत्याशी बनाकर इस वार्ड को हॉट सीट बना दिया है। जैन की खासियत यह है कि पुलिस महकमे में सेवाएं देने के दौरान वे सीएमओ में भी रह चुके हैं और कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पसंद भी हैं। चूंकि जयपुर के जैन बहुल इलाके से ये पार्षद का चुनाव लड़ रहे हैं, ऐसे में आने वाले दिनों में इनकी उम्मीदवारी को बीजेपी का गढ़ बन चुके मालवीय नगर में कांग्रेस का परचम लहराने के लिहाज़ से विधानसभा चुनावों से जोड़कर भी देखा जा रहा है।
इसी तरह जयपुर ग्रेटर के वार्ड संख्या 93 में भी कांग्रेस प्रत्याशी ने यहां के चुनाव को दिलचस्प बना दिया है। यहां से दिव्या सिंह चुनाव मैदान में हैं जोकि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई कर लौटी हैं। यही नहीं दिव्या सिंह के चुनाव परचा की कमान उनके पिता संजय सिंह के संभाल रखी है। वही संजय सिंह, जिन्होंने वसुंधरा राजे के खिलाफ झालावाड़ से 2 बार विधानसभा और एक बार लोकसभा का चुनाव लड़ा है। हालांकि पिता को तो वसुंधरा राजे के सामने जीत नहीं मिल पाई, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि ऑक्सफोर्ड से मेजेंमेंट की पढ़ाई करके लौटी उनकी बेटी पार्षद चुनाव में जीत के बाद मेयर का चेहरा होगी क्योंकि उनकी बेहतरीन पढ़ाई और मेनेजमेंट का गुर जयपुर की जनता को एक बेहतरीन भविष्य दे सकता है।
ऐसा नहीं है कि केवल कांग्रेस के उम्मीदवार ही चुनाव प्रचार को दिलचस्प बनाए हुए हैं, बीजेपी ने भी सांगानेर के वार्ड 87 से सौम्या गुज्जर को प्रत्याशी बनाकर उतारा है। सौम्या गुज्जर महिला आयोग के साथ जिला परिषद् की भी सदस्य भी रह चुकी हैं। उनके पति राजाराम गुज्जर करौली से पूर्व सभापति भी रह चुके हैं। कहा जा रहा है कि ग्रेटर नगर निगम में बीजेपी के बोर्ड बनने की सूरत में तेजतर्रार सौम्या अपने अनुभवों और राजनितिक कद के चलते मेयर का चेहरा हो सकती हैं। वैसे भले ही यह वार्ड का चुनाव हो लेकिन यहां भी नरेंद्र मोदी के कामकाज और उनकी छवि को आधार बनाकर ही वे जनता से वोट भी मांग रही है।
राजनितिक दलों के इन प्रत्याशियों के बीच एक ऐसा निर्दलीय भी चुनाव मैदान में हैं जिनके पिता एक नहीं दो नहीं बल्कि 6 बार सांसद और 4 बार विधायक रह चुके हैं। पिता के बीजेपी के मजबूत चेहरा होने के बावजूद भी जब बीजेपी ने इस बार टिकट नहीं दिया तो जयपुर के पूर्व सांसद गिरिधारी लाल भार्गव के बेटे मनोज भार्गव निर्दलीय ही इस बार चुनाव मैदान में उतर गए हैं।
हालांकि इससे पहले भी मनोज ने बीजेपी से अपने पिता की छवि और अनुभव का हवाला देते हुए बीजेपी से तीन बार सांसद, तीन बार विधायक और तीन बार पार्षद का टिकट मांगा था, लेकिन उन्हें हर बार आश्वासन देकर मना लिया जाता। इस बार का टिकेट भी जब मिलता नहीं दिखा तो निर्दलीय ही मैदान में कूद गए हैं और अपने पिता के नाम और काम के आधार पर वोट मांग रहे हैं।
जाहिर है कि पिछले बोर्ड का कार्यकाल करीब एक साल पहले ही खत्म हो गया था और पिछले एक साल से जयपुर में मेयर और पार्षद नहीं हैं। ऐसे में पार्षद कोटे से कराए जाने वाले 50 करोड़ रूपये से भी ज्यादा के काम अटके हैं और सभी उम्मीदवार जितने के बाद सडत्रक, सीवरेज और रोड लाईटों के काम के वादे के साथ चुनाव मैदन में है।
चुनाव इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि अब तक जयपुर में केवल 91 वार्ड ही थे, लेकिन पहली बार राज्य सरकार ने बढ़ती जरूरत के लिहाज से जयपुर को जयपुर हेरिटेज और जयपुर ग्रेटर नाम से दो नगर निगम में बांटकर कुल वार्डों की संख्या 250 कर दी है। बात केवल हर पार्षद को मिलने वाले सालान 50 करोड़ रूपये के विकास कार्यों तक ही सीमित नहीं है बल्कि इस बार मेयर और विधायक के लिए भी कई पार्षद इन चुनावों को हर हाल में जितने की कोशिश में है जो कि इस चुनावी मुकाबले को ही दिलचस्प बना रहा है।
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