के जे श्रीवत्सन, जयपुर : कोरोना वैक्सीनेशन के लिए बनाए गए कोविन एप में गड़बड़ी अब तक दूर नहीं हो पायी है जिसके चलते अब उन लोगों को भी बिना टीके लगये जा रहे हैं, जिनका रजिस्ट्रेशन हो चुका है लेकिन अभी तक कोई मेसेज नहीं पहुंचा है। बाकायदा ऐसे स्वास्थ्यकर्मियों को फोन करके सूचित किया जा रहा है। ताकि हर रोज के टीकाकरण का टारगेट पूरा हो सके। राजस्थान में दुसरे दिन भी स्वास्थ्य कर्मियों में टीका लगाने को लेकर बड़ा उत्साह नज़र आया।
जयपुर के एसएमएस अस्पताल में कोरोना टीकाकरण में मुख्य कार्यक्रम की शुरुआत हुई थी। सोमवार को टीकाकरण का दुसरा दिन था तो यहां पर टीका लगवाने के लिए आने वालों की लंबी लिस्ट भी देखी गयी। पहले दिन जहां 16 हज़ार स्वास्थ्यकर्मियों में से महज 11 हज़ार लोग ही टीका लगवाने पहुंचे थे। तो दुसरे दिन भी कमोबेश यही हालत रहे। क्योंकि कोविन-एप की तकनिकी खामियों के चलते कई लोगों पर संदेश ही नहीं पहुंचा, नतीजा रजिस्टर्ड स्वस्थ्यकर्मियों को फोन करके ही ड्यूटी वक़्त के कुछ पहले आने को कहा गया ताकि रोजाना के टीके का टार्गेट पूरा हो सके। यानी की पहले दिन प्रदेश के अधिकांश जिलों में लक्ष्य से पचास फीसदी ही वैक्सीनेशन होने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारीयों ने सोमवार से उन सभी लोगों को बिना नंबर टीका लगाने की छूट दे दी गई है, जिन्होंने संबंधित वेबसाइट पर अपना रजिस्ट्रेशन करवा लिया है।
जब सूची में नाम आने का इंतजार नहीं करने का आदेश आ गया तो कई सूबे के इस सबसे बड़े अस्पताल के कई विभागों के विभागाध्यक्ष सहित काफी तादात में लोग यहां वेक्सिन लगवाने पहुंचे। सबके चेहरे पर वेक्सिन आने की ख़ुशी तो थी ही साथ ही इस बात की तसल्ली भी थी की वे इस संजीवनी के इस महाभियान का हिस्सा भी बने हैं। कार्डियोलोजिस्ट विभाग के विभागाध्यक्ष का कहना है कि मैं खुद एक डॉक्टर हूं, कोरोनाकाल में तमाम तरह की मरीजों और स्वास्थ्यकर्मियों की मुश्किलों को नजदीक से देखा है ऐसे में खुद लगवा रहा हूं, कोई डर नहीं है। लोगों को भी आगे आना चाहिए।
उधर वैक्सिनेशन के काम में जुटे नोडल अधिकारीयों ने भी कोविन एप में तकनिकी गड़बड़ियों को माना और वैकल्पिक व्यवस्था के बारे में बताया साथ ही यह भी कहा की वैज्ञानिकों की इस बड़ी उपलब्धि को लेकर सवाल खड़ा करना गलत होगा।
नोडल अधिकारी गोवर्दन मीना ने कहा कि यह सच है की कुछ परेशानी है उस एप है लेकिन हमारे पास रजिस्ट्रेशन करवाने वाले चिकित्साकर्मियों के नाम और फोन नंबर हैं जिसके जरिये हमने फोन करके उन्हें बुला लिया इसके अलावा ड्यूटी शुरू होने से कुछ पहले बाकी लोगों को भी बुलाया गया है। हर रोज 500 लोगों तक को टीका लगाया जाना है लेकिन 100 के लगा पा रहे हैं। हम चाहेंगे की लोग हमारे वैज्ञानिकों पर भरोसा रखें।
वैसे अच्छी बात यह है की चिकित्साकर्मी खुद वैक्सिन को लेकर काफी गंभीर नज़र आ रहे हैं और इस बात का संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं की भले ही वैक्सीन की यह महज़ दो डोज़ ही है, लेकिन कोरोनाकाल में जीवन को बचाने के लिए यही सबसे कारगर हथियार भी साबित होगी
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