के जे श्रीवत्सन, जयपुर: राजस्थान के अलवर के थानागाजी में करीब सवा साल पहले हुए बहुचर्चित गैंगरेप केस में एससी-एसटी कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए सभी पांचों आरोपियों को दोषी करार दिया है। कोर्ट ने जहां इस मामले में चार दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। वहीं एक आरोपी को गैंगरेप का विडियो वायरल करने के आरोप में 5 साल की कठोर सजा सुनाई है।
खास बात यह है कि मामले के मुख्य दोषी हंसराज को अंतिम सांस तक जेल में रहने की सजा सुनाई गई है। साथ ही अदालत ने इस घटना को रामायण के सीता हरण और महाभारत के दोप्रदी चीरहरण से भी वीभत्स बताया है। उधर जहां सत्तारूढ़ कांग्रेस ने तवरित न्याय के लिए उनकी सरकार की कोशिश का इसे नतीजा बताते हुए हाथरस की घटना पर उत्तर प्रदेश सरकार की भूमिका को लेकर सवाल खड़े कर दिए। वहीं राजस्थान के DGP ने कहा की इससे पीड़ित परिवार को इंसाफ मिला है।
पुलिस द्वारा आरोपी बनाए गए पाँचों लोगों को पुलिस ने दोषी पाया और इनमे से अदालत में मुख्य आरोपी इंद्राज, अशोक, छोटेलाल और हंसराज को जहां उम्र कैद की सजा सुनाई गई है वहीं गैंगरेप का विडियो वायरल करने वाले मुकेश को 5 साल की जेल दी। यह वारदात 26 अप्रैल 2019 को दिन दहाड़े हुई थी। लेकिन, पुलिस की भूमिका पर भी कई सवाल उठे। आरोप है की पीड़ित थाने गए थे, लेकिन पुलिस ने चुनाव में व्यस्त होने की बात कहकर मुकदमा नहीं लिखा। बाद में घटना का वीडियो वायरल होने के बाद मामले ने तूल पकड़ा। जिसके बाद मचे बवाल के बाद सामूहिक गैंगरेप का मुकदमा 2 मई 2019 को थानागाजी थाने में दर्ज हुआ था। जिसके 16 दिनों बाद ही 18 मई को पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी के साथ ही अदालत में चालान भी पेश कर दिया था। अब आरोपियों को सजा होने पर पुलिस ने भी राहत की सांस ली है।
डीजीपी भूपेन्द्र सिंह का कहना है कि पुलिस ने इस घटना की गंभीरता से त्वरित जांच कि और आरोपियों को गिरफ्तार किया। अब जबकि आरोपियों की सजा का एलान हो चूका है तो मुझे उम्मीद है की पीड़ित परिवार को इससे न्याय मिला है।
घटना 26 अप्रैल 2019 की है। थानागाजी के रहने वाले एक दंपति बाइक पर जा रहे थे। तभी पांच युवकों ने उनका पीछा करके उन्हें रोक लिया। इसके बाद वह उन्हें जबरन जंगल ले गए। वहां महिला के साथ पति के सामने सामूहिक दुष्कर्म किया। आरोपियों ने इसका वीडियो भी बनाया। पुलिस की ओर से 3 आरोपियो छोटेलाल, इंद्राज और अशोक के खिलाफ 147, 149, 323, 341, 354ख, 376D, 506, 342, 386, 384, 395,327,365 IPC के साथ ही एससी-एसटी एक्ट की विभिन्न धाराओं के अलावा आईटी एक्ट 67, 67A की सभी धाराओं में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश की गई थी। जबकि मुख्य आरोपी हंसराज के खिलाफ उसके तीनों साथियों के साथ लगाई गई धाराओं के अतिरिक्त 376 (2)N की अतिरिक्त धारा में चालान किया गया था। पांचवें आरोपी मुकेश के खिलाफ आईटी एक्ट 67, 67A 4/6 महिलाओं का अशिष्ट रूपण प्रतिषेध अधिनियम में चालान पेश किया गया था। चूंकि यह राजस्थान के बहुचर्चित मामलों में से एक था ऐसे में फैसले को देखते हुए कोर्ट परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजामात किये गये थे।
आरोपियों के खिलाफ अदालत का फैसला सुनने के लिए कोर्ट के आसपास भारी भीड़ भी जमा थी। 11 बजे जज बृजेश कुमार ने आरोपियों को दोषी ठहराने के बाद करीब एक घंटे बाद उम कैद और एक- एक लाख रूपये के जुर्माने की सजा का भी एलान किया। संभवत: यह पहला मामला होगा जब गैंगरेप का विडियो वायरल करने के एक दोषी मुकेश को 5 साल की सजा सुनाई गई। यही नहीं फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने इस घटना की तुलना रामायण के सीता हरण और महाभारत मे द्रोपदी के चीरहरण से भी ज्यादा वीभत्स बताया। अब दोषियों को सजा मिलने पर कांग्रेस ने भी इसे उसके शासन में त्वरित न्याय बताते हुए इसी आड़ में एक बार फिर से हाथरस की घटना पर सवाल दाग दिए है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और राज्य के शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने फैसले पर कहा कि मई 2019 में इस दलित महिला के साथ इस घटना के सामने आते ही राहुलजी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद पीड़िता से मिलने गए थे और तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपियों का कोर्ट में चालान किया। अब सबको सजा हुई है। इस घटना के वक़्त भी बीजेपी के लोगों ने बड़ा बवाल मचाया था। घटना कोई घट सकती है लेकिन सरकार का दायित्व तत्काल दोषियों को गिरफ्तार करके सजा दिलाना है, जो की राजस्थान में गहलोत सरकार हमेशा करती रही है। उत्तर प्रदेश के हाथरस की घटना में पुलिस ने संवेदनशीलता नहीं बरती। वहां के सीएम को पता लगने के बाद घटना को उलटा दबाया गया और मौत के मुंह में पहुंचने से कुछ देर पहले पीड़िता को दिल्ली अस्पताल रेफर किया गया। यही नहीं आधी रात को दाह संस्कार करवा दिया गया। जन प्रतिनिधि और मीडिया को नहीं मिलने दिया गया। राजस्थान में जिस तरफ से बीजेपी हल्ला बोल कर रही है यह केवल उस घटना से धयान हटाने के लिए ही कर रही है। हमारे यहां यदि कोई इस तरह की घटना होती है तो तत्काल एक्शन लिया जाता है। बीजेपी हर चीज को राजनितिक चश्मे से देखते हैं। हर घटना को दबाती है। यहां तक की आज भी हाथरस के दलित परिवार को दबाया जा रहा है। जब मोदीजी सारी घटना को देख रहे हैं तो योगी जी पर कारवाही क्यों नहीं करते यह बड़ा सवाल है।
बहरहाल करीब सवा साल पहले पूरे प्रदेश को हिलाकर रख देने वाले और अशोक गहलोत सरकार के लिए कानून और व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े करने वाले इस मामले में अब फैसला आने के बाद सबने राहत की सांस ली है। साथ ही अदालत के कड़े फैसले से यह भी बात साफ हो गए ऐसे वीभत्स अपराधों को अंजाम देने वालों के लिए किसी तरफ की रहम की उम्मीद नहीं की जा सकती।
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