के जे श्रीवत्सन, जयपुर : कोरोना महामारी में लॉकडाउन के बाद से ही बंद पड़े राजस्थान के स्कूलों में एक बार फिर से घंटियां बजनी शुरू हो गयी है। सरकार की सख्त गाईड लाईन के बीच करीब 10 महीने तकरीबन 302 दिनों बाद राजस्थान में 9वीं से 12वीं तक के स्कूल सोमवार को खुल गए। कोरोना का डर, पहला दिन और लोकडाउन में कई अभिभावकों के शहर छोड़कर अपने गांव चले जाने जैसे कई कारणों के चलते छात्रों की संख्या काफी कम रही और दिन भर अभिभावक भी बार बार स्कुल में फोन करके अपने बच्चों की सुरक्षा की जानकारी लेते रहे।
राज्य में 9 महीने 27 दिन बाद सोमवार को कक्षा 9 वीं से लेकर 12 वीं कक्षा तक के छात्र-छात्राएं अपनी अपनी कक्षाओं में आकर बैठे भी और नियमित पढाई भी शुरू हो गयी लेकिन कक्षा में मौजूद बच्चों की कम तादात बताने के लिए काफी थी की ज्यादातर अभिभावक अब भी किस कदर पहले ही दिन अपने बच्चों को स्कुल भेजने से डर रहे थे। यहां की 9 वीं कक्षा में महज 2 छात्राएं ही मौजूद थीं। चूंकि इन्होंने हिम्मत दिखाकर स्कुल आने की सोची तो इन्हें ही एक अध्यापिका पढ़ाने भी लग गयी।
खास बात यह है की कक्षा में मौजूद विद्यार्थियों को अध्यापिका पढ़ा तो रही थी लेकिन जो विद्यार्थी स्कुल नहीं आ पाये उन्हें ऑनलाइन कक्षाएं के जरिये पढ़ाने की भी व्यवस्था की गई है। अध्यापिका ने कानों में ईअर फोन लगा रखा था और फोन के जरिये कक्षा में मौजूद बच्चों के साथ साथ ऑनलाईन जुड़ने वाले बच्चों को भी पढ़ा रही थी। छात्रों से बात की गयी तो उन्होंने भी माना की उनके अभिभावकों ने काफी समझाने के बाद ही सुरक्षित तरीके से स्कुल में रहने की सलाह के साथ यहां भेजा है।
राजस्थान में सरकार की गाईड लाईन के बाद प्रदेश के 14 हज़ार सरकारी और 16 हज़ार निजी स्कुलों के साथ कोचिंग सेंटर और 200 कोलेज में फाईनल ईयर की कक्षाएं भी खुल गए हैं। जयपुर में भले ही 500 के करीब कोचिंग सेंटर हैं जहाँ करीब डेढ़ लाख विद्यार्थी पढाई कर रहे हैं, लेकिन सुरक्षा कारणों के चलते कोचिंग सेंटर में अभी 33 फीसदी विद्यार्थियों को ही बुलाया गया है। जब बच्चे जब स्कूल गेट पर पहुंचे तो यहां उन्हें थर्मल स्कैनिंग और मास्क जांच के साथ एंट्री दी गई। छात्रों को 6 फीट की दूरी पर बैठाने और मास्क लगाने के भी सख्त निर्देश नज़र आये। स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं भी ऑफलाइन के साथ चलेगी यानी जो स्टूडेंट्स स्कूल आने के इच्छुक नहीं हैं, वे घर बैठकर ऑनलाइन क्लास ज्वाइन कर सकेंगे। भले ही कम संख्या में बच्चे आये लेकिन बच्चों के कदम पड़ते ही वीरान पड़े स्कूलों में मानों रौनक लौट आई। बच्चों और अध्यापकों की कम संख्या को लेकर स्कुल प्रबंधकों ने कई तर्क दिए जो की कोरोनाकाल में अभिभावकों की मुश्किलों को भी बता रहे थे।
जयपुर के 22 गोदाम का यश विद्या मंदिर उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रिंसिपल बी एल शर्मा का कहना है कि कोरोना के लोक डाउन के चलते कई अभिभावकों की नौकरियां चली गयी ऐसे में उन्होंने अपने गांव जाना ही मुनासिब समझा और कई अभिभावक ने स्कुल खुलने में हुई देरी के चलते यहां से टीसी लेकर कहीं और अपने बच्चों को भर्ती करवा दिया। कुछ अभिभावक पहला दिन होने और कोरोना का ख़तरा लगातार बरक़रार होने के साथ साथ ऑनलाइन कक्षाओं की सुविधा होने के चलते अभी बच्चों को स्कुल ना ही भेजने का फैसला किया है। लेकिन हम भी पूरी सुरक्षा बरत रहे हैं, इन बच्चों को लेकर। साथ ही अधिक उम्र वाले हमारे अध्यापकों को भी कह दिया है की वे घर पर रहकर ही ऑनलाइन कक्षाएं लेना जारी रखे। वैसे बच्चों की कम संख्या का एक बड़ा कारन अभी केवल 9 वीं से 12 तक की कक्षाओं को लगाने की इजाजत मिलना भी है।
जाहिर है की कुछ आशंकाओं के चलते अभिभावक अभी अपने बच्चों को स्कुल भेजना नहीं चाहते लेकिन जितने भी बच्चे पहले दिन स्कुल में पहुंचे उनके चलते एक बार फिर से राजस्थान के 30 हज़ार से भी ज्यादा सरकारी और निजी स्कूलों में 302 दिन बाद रौनक लौट ही आई है।
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