अधीर यादव, चमोलीः चमोली आपदा की वजह से 25 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोग बेहद डरे हुए हैं। इस डर का आलम इसी से लगाया जा सकता है कि इनके पास अगर कोई व्यक्ति आकर बैठ जाए तो स्थानीय लोग उससे घंटों बात कर अपनी घबराहट छिपाने की कोशिश करते दिखाई देते हैं।
यह हालात अमूमन उन सभी गांवों में देखने को मिल रही है, जो तपोवन से लेकर रैणी तक नदी किनारे बसे हुए हैं। न्यूज़ 24 ने रैणी गांव में चिपको आंदोलन की नायिका गौरा देवी की सहेलियों से बातचीत करने का प्रयास किया तो बिना देरी उन्हें अपना दर्द और डर बयां करना शुरू कर दिया।
गांव की 95 साल की बुजुर्ग डुका देवी और कलावती देवी का कहना है कि 'घटना के समय वह घर के बाहर बैठी हुई थीं। तभी जोरदार बादल के गरजने जैसी आवाज आई। फिर लगा कि पानी का सैलाब बड़ी तेजी से आगे की तरफ बढ़ रहा है।
इन सबके कारण पहाड़ियों के बीच धुंध दिखाई देने लगी और उस सफेद धुंध ने पूरे गांव को अपनी आगोश में ले लिया। कलावती देवी कहती हैं कि 'जल सैलाब और मलबे की वजह से पूरे गांव में चीख पुकार मच गई।
उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में इस तरह की घटना की पहले कभी नहीं देखी'। रैणी गांव के लोगों में इस आपदा का इतना डर बैठ गया है कि सभी ग्रामीण अपने घरों के बाहर गुजर-बसर कर रहे हैं।
रैणी के आसपास के गांवों की यह स्थिति हो गई है कि अगर कोई रेस्क्यू हेलीकॉप्टर भी उनके गांव से ऊपर से गुजरता है तो सभी भयभीत हो जाते हैं। यह उन आंखों का खौफ दिखाता है, जिन्होंने दिन के उजाले में अपनों को बिछड़ते देखा है।
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