अमित कुमार यादव, नई दिल्ली: नए साल में चीन और पाकिस्तान की चुनौती का जवाब देने के लिए वायुसेना ने अपनी कमर कस ली है। लद्दाख में चीन के साथ तनाव के बीच नए साल की शुरुआत में ही जनवरी के महीने में वायुसेना अपना दमखम दिखाने वाली है। हिंदुस्तान के आसमान का रक्षक राफेल अपनी गर्जना से चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ाने वाला है। जनवरी में राजस्थान को जोधपुर में स्काइरॉस नाम से वारगेम्स का आगाज होने जा रहा है।
जनवरी के तीसरे हफ्ते में होने वाले इस वॉरगेम्स में भारत और फ्रांस के राफेल लड़ाकू विमान हिस्सा लेंगे। जानकारी के मुताबिक फ्रांस की एयरफोर्स के राफेल लड़ाकू विमान स्काईरॉस वारगेम्स में शामिल होने के लिए जोधपुर आएंगे। ये विमान भारतीय वायुसेना की 17वीं स्कवॉड्रन के राफेल विमानों और सुखोई 30 एमकेआई विमानों के साथ आसमान में अपना लोहा दिखाएंगे।
यहां ये बताना जरूरी है कि ये वॉरगेस रूटीन बेस पर होने वाली गरुड़ एक्सरसाइज सीरीज से अलग हैं, जो दोनों देशों के बीच एक दशक से भी ज्यादा वक्त से होती आ रही है। इससे पहले जुलाई 2019 में भारत औऱ फ्रांस की वायु सेनाओं ने बड़े अभ्यास में हिस्सा लिया था। भारतीय वायुसेना के लिए ये पहला वॉरगेम होगा, जिसमें राफेल फाइटर जेट को शामिल किया जा रहा है।
बता दें कि राफेल फाइटर जेट को अगस्त 2020 में भारतीय एयरफोर्स में शामिल किया गया था। वायुसेना राफेल और सुखोई 30एस विमानों को इंटीग्रेट मोड में इस्तेमाल करने की योजना भी बना रही है। राफेल और सुखोई-30एस विमानों की पूर्वी लद्दाख में तैनाती की गई है। इंडियन एयरफोर्स ने चीन की वायुसेना से मुकाबला करने के लिए ऐसा कदम उठाया है, क्योंकि चीन के लड़ाकू विमान लगातार भारत से नजदीकी एयरबेस से उड़ान भरते रहते हैं और हिंदुस्तान की सुरक्षा को चुनौती देते हैं।
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