चंडीगढ़: केंद्र सरकार द्वारा 2017 में एस.सी. विद्यार्थियों के लिए चल रही पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम बंद किए जाने के कारण निजी कॉलेजों/संस्थाओं द्वारा फीस न भर सकने वाले विद्यार्थियों की डिग्रियाँ रोके जाने को गंभीरता से लेते हुए पंजाब सरकार द्वारा सम्बन्धित सभी संस्थाओं को तीन दिन के अंदर विद्यार्थियों को डिग्रियां जारी करने के आदेश दिए गए हैं।
यह फैसला एस.सी. विद्यार्थियों के लिए पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम बंद होने के कारण साल 2017-19, 2018-19 और 2019-20 बाबत लम्बित पड़े मामलों सम्बन्धी फैसला करने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा कैबिनेट मीटिंग के दौरान वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल के नेतृत्व में मंत्रियों के समूह की बनाई गई उच्चाधिकार प्राप्त समिति की पहली मीटिंग के दौरान लिया गया।
मंत्रियों के समूह की मीटिंग में सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री साधु सिंह धर्मसोत, उच्च शिक्षा और भाषाओं संबंधी मंत्री तृप्त रजिन्दर सिंह बाजवा और तकनीकी शिक्षा एवं औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी भी शामिल हुए।
मीटिंग के बाद जानकारी देते हुए वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि मंत्रियों के समूह द्वारा 19 जनवरी, 2021 को सम्बन्धित कॉलेजों और संस्थाओं को भी मीटिंग के लिए बुलाया गया है, जिसमें उनके लम्बित मसले विचारने और उनके हल के लिए राज्य सरकार द्वारा सकारात्मक रुख अपनाते हुए खुले मन के साथ विचार-विमर्श किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मीटिंग में इस बात पर विचार किया जाएगा कि तीन साल की देनदारियां किस प्रक्रिया और चरणों में देनी हैं।
उन्होंने साथ ही इन कॉलेजों और संस्थाओं को मीटिंग से पहले रोकी गई विद्यार्थियों की डिग्रियां जारी करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि मामले निपटाने के लिए बुलायी गई मीटिंग में शामिल होने के लिए संस्थाओं को यह शर्त रखी गई है कि तीन दिन के अंदर डिग्रियां सौंपी जाए।
तकनीकी शिक्षा एवं औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा 2017 में दलित विरोधी फ़ैसला लेते हुए एस.सी. विद्यार्थियों के लिए पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम बंद कर दी गई थी, जिस कारण एस.सी. विद्यार्थियों में घबराहट का माहौल पैदा हो गया था।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस स्कीम के अंतर्गत अपना हिस्सा देने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार फीस न जमा होने के कारण विद्यार्थियों की डिग्री रोकने और कॉलेजों द्वारा विद्यार्थियों से हलफिय़ा बयान या अन्य लिखित दस्तावेज लेने के पूरी तरह खि़लाफ़ है, इसलिए राज्य सरकार ने फैसला किया है कि यदि कोई भी संस्था या कॉलेज किसी भी विद्यार्थी की डिग्री रोकती है या किसी विद्यार्थी से हलफिय़ा बयान लेती है तो राज्य सरकार द्वारा सम्बन्धित कॉलेज या संस्था की मान्यता रद्द की जाएगी। उन्होंने कहा कि फ़ीसों का मामला सरकार और संस्थाओं के बीच का है, जिसके चलते राज्य सरकार किसी भी एस.सी. विद्यार्थी का नुक़सान नहीं होने देगी।
चन्नी ने कहा कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा एस.सी. विद्यार्थियों के लिए डॉ. बी.आर.अम्बेडकर एस.सी. पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम शुरू करने का फैसला किया गया था। अब केंद्र सरकार द्वारा 60-40 अनुपात में यह स्कीम शुरू करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि हालांकि पुरानी स्कीम के अनुसार पूरी राशि केंद्र सरकार द्वारा दी जाती थी, परन्तु नई स्कीम में केंद्र सरकार द्वारा 60 प्रतिशत राशि दी जायेगी, जबकि राज्य सरकार 40 प्रतिशत हिस्सा देगी।
चन्नी ने आगे कहा कि केंद्र सरकार द्वारा स्कॉलरशिप स्कीम के लिए आमदन की हद 2.5 लाख रुपए निश्चित है, जिसको 4 लाख रुपए तक बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की तरफ से केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का तर्क है कि आमदन हद बढ़ाने से अधिक से अधिक विद्यार्थी इस स्कीम के अंतर्गत कवर हो सकेंगे।
सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री साधु सिंह धर्मसोत ने कहा कि मुख्यमंत्री का साफ तौर पर यह मानना है कि कोई भी विद्यार्थी डिग्री न मिलने के कारण अगली शिक्षा या रोजगार का मौका हासिल करने से वंचित न रह जाये, जिसके लिए इस मंत्री समूह का गठन किया गया। उन्होंने कहा कि कमेटी द्वारा सम्बन्धित कॉलेजों और संस्थाओं के साथ मिलकर इस बारे में बातचीत की जायेगी।
उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार अपने कर्तव्यों से भाग गई है तो राज्य सरकार एस.सी. विद्यार्थियों के साथ डटकर खड़ी है और किसी भी विद्यार्थी का हक नहीं मारने देगी। उन्होंने कहा कि सम्बन्धित कॉलेजों और संस्थाओं को तीन दिनों के अंदर विद्यार्थियों को डिग्री देने के निर्देश दिए गए हैं।
उच्चाधिकार प्राप्त समिति की मीटिंग में अन्यों के अलावा मुख्यमंत्री के मुख्य प्रमुख सचिव सुरेश कुमार, मुख्य सचिव विनी महाजन, प्रमुख सचिव वित्त के.ए.पी. सिन्हा, प्रमुख सचिव सामाजिक न्याय अधिकारिता जसपाल सिंह, प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा अनुराग वर्मा, डी.पी.आई. (कॉलेजों) परमजीत सिंह भी शामिल हुए।
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