के.जे.श्रीवत्सन, जयपुर: दालों के दामों में पिछले एक महीने में आई तेजी ने लोगों की रसोई के स्वाद को बिगड़ कर रख दिया है। हर तरह की दाल में 20 से 30 रुपए तक की तेजी आई है। दाल के होलसेल व्यापारियों की मानें तो अगले एक-डेढ़ महीने में और तेजी तो नहीं आएगी, लेकिन त्योहारों के सीजन के चलते इनके दामों में 5 से 10 रुपये तक की कमी जरूर आएगी। वैसे, दालों के दामों में वृद्धि का कारण इम्पोर्ट पर बंदिशें और लगातार बढ़ रहे MSP को बता रहे हैं।
एक तरफ जहां पुरे देश में MSP को लेकर बवाल मचा हुआ है, वहीं इसी MSP को दाल के व्यापारी किचन में जेब ढीली होने का सबसे बड़ा कारण भी मान रहे हैं। दरअसल, पिछले एक महीने में लगभग सभी तरह के दामों के दामों में 20 से 30 रूपये तक का इजाफा हुआ है।
जहां तुवर की दाल एक महीने पहले तक होलसेल में 80 रूपये तक था, जो की अब बढ़कर 110 रुपये तक पहुंच गया और आम आदमी के किराना की दुकान से खरीदने वक़्त 130 रूपये तक बिक रहा हैं। वहीं उड़द की दाल होलसेल में 80 रुपये से बढ़कर 100 से 105 तक और मूंग की दाल 87 रुपए के होलसेल से बढ़कर अब 100 रूपये तक पहुंच गया है।
चने की दाल में 15 रुपये की तेजी आई है। इसी तरह काबुली चना भी 60 रुपये से बढ़कर 75 रुपये हो गया है। उड़द और मूंग की कीमतों में आई तेजी का असर चना दाल सहित अन्य दलहन पर भी पड़ रहा है। जब किराना व्यापारियों के पास से यह इस दाम में पहुंच रहा है तो अंदाजा लगाया जाना मुश्किल नहीं है कि दुकानदार आम आदमी को कितने दाम पर यह बेच रहे होंगे।
दालों के दाम में यह तेजी पिछले 15-20 दिनों के दौरान ही सबसे ज्यादा आई है। तीन साल पहले भी इसी तरह दालों की कीमतों में त्योहारी सीजन में अचानक तेजी आ गई थी और सरकार द्वारा सख्ती बरतने के बाद ही दालों के दाम गिरे थे।
होलसेल व्यापारियों का माने तो इस बार अचानक सरकार की तरफ से अधिक MSP पर फसलों को खरीदे जाने के कारण किसान भी अब बाज़ार में उसी आधार पर कुछ अधिक दामों पर अपने दाल- दलहन को बेच रहे हैं और कोरोनाकाल में गाड़ियों के ट्रांसपोर्टेशन में आ रही दिक्कतें और इस बार बारिश के भी लंबा चलने के कारण ही दालें महंगी हुई है। बारिश के चलते कई इलाकों में फसल खराब होने के कारण इन दिनों दालों की शॉर्टेज हुई, जबकि इनकी डिमांड में तेजी बरकरार रही। नतीजा इसका असर ही कीमतों में पड़ने लगा है।
बहरहाल राहत की बात यह है की अब होलसेल व्यापारी भी मान रहे हैं कि कम से कम आने वाले तीन चार महीनों में तो दालों के दाम अब और नहीं बढ़ेंगे और त्योहारी सीज़न में आवक भी अच्छी रहने के साथ इनके दामों में कुछ हद तक कमी आ सकती है। लेकिन जब तक इम्पोर्ट पर लगी बंदिशें और मंडी टेक्स जैसी चीजे खत्म नहीं होती तब तक लगता है कि दालों के दाम आम आदमी के किचन की थाली के साथ होटलों से एक बार फिर दाल और पतली होने के आसार बन गए हैं।
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