नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के उन्नाव में जिला प्रशासन ने एक नया आडिया निकालते हुए राज्य में जलती हुई पराली को कम करने के लिए कदम उठाया है। यहां पर प्रशासन ने किसानों से चारे के रूप में उपयोग किए जाने वाली पराली की खरीद शुरू कर दी है। जिसके बाद वह पराली की एवज में किसानों को गोबर की एक ट्रॉली देगी। अब तक जिला प्रशासन ने 800 क्विंटल मल की खरीद की है।
यूपी सरकार ने किसानों से पराली खरीदना शुरू कर दिया है। पशुओं के चारे के लिए सरकार द्वारा इस वर्ष लगभग 5000 क्विंटल पराली खरीदा गया है - बदले में किसानों को गोबर दिया जाता है। आग और प्रदूषण के लिए यह एक कारगर समाधान है।
उन्नाव के डीएम रवींद्र कुमार ने कहा कि जिले में कुल 125 गौशालाएं हैं। इसमें से 28 काफी बड़ी हैं और ये गौशालाएं गोबर की खाद का पर्याप्त मात्रा में उत्पादन करती हैं। किसानों को 2 ट्रॉली परालियों के बदले में 1 ट्रॉली गोबर की खाद की पेशकश की जाती है। ठूंठ को चारे में बदल दिया जाएगा और खाद किसानों को अपनी मिट्टी को समृद्ध बनाने में मदद करेगी। कुमार ने कहा है कि अब तक, जिले में 100 से अधिक किसान अपनी पराली को लाए हैं और बदले में खाद ली है।
पराली जलने से मिट्टी और पर्यावरण को गंभीर नुकसान
विशेषज्ञों के अनुसार, स्टब बर्निंग वायु प्रदूषण का कारण बनता है और मिट्टी की उर्वरता को कम करता है। यह जमीन के तापमान को बढ़ाता है और अनुकूल कीटों और रोगाणुओं को मारता है, जो अच्छे पौधों के विकास के लिए आवश्यक हैं। परिणामस्वरूप, किसान को अधिक रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों, कीटनाशकों आदि का उपयोग करना पड़ता है जो मिट्टी की गुणवत्ता को और प्रभावित करते हैं।
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